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Modi 3.0 ने पहले 100 दिन में पलट दिए ये 4 बड़े फैसले, पेपर लीक, रोजगार और महंगाई पर घेर रही कांग्रेस

कांग्रेस ने सरकार के पहले 100 दिन पर दस्तावेज जारी कर सरकार की विफलताएं गिनाई है। पढ़ें शादाब अहमद की स्पेशल रिपोर्ट

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Modi 3.0 100 Days: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन को कांग्रेस ने जनता से अधूरे वादे, सरकार में व्यवस्थित भ्रष्टाचार और यूटर्न का बोलबाला बताया है। कांग्रेस ने पेपर लीक, शिक्षा कुप्रबंधन, रोजगार और महंगाई पर जैसे मुद्दों पर सरकार को विफल करार दिया है। कांग्रेस ने सरकार के पहले 100 दिन पर दस्तावेज जारी कर सरकार की विफलताएं गिनाई है।

कांग्रेस ने गिनाई विफलताएं

- नीट पेपर लीक: 24 लाख छात्रों के भविष्य से समझौता कर लाखों लोगों के भरोसे को हिलाया। प्रणालीगत विफलता के लिए शिक्षा मंत्री को नैतिक आधार पर इस्तीफा देना चाहिए था लेकिन यह नहीं हुआ।

- एनटीए की अक्षमता: राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं की अखंडता बनाए रखने की बजाय टूटी है। नीट घोटाला, यूजीसी नेट परीक्षाएं रद्द कर दी गईं, क्योंकि प्रश्नपत्र डार्क वेब पर 6 लाख रुपए में बेचे गए थे।

- बेरोजगारी संकट: युवा बेरोजगारी दर 9.2 फीसदी और महिला बेरोजग़ारी दर 18.5 फीसदी के स्तर पर है। 2014-2022 के बीच 22 करोड़ उम्मीदवारों ने केंद्र की नौकरियों के लिए आवेदन किया, पर नौकरियां नहीं मिलीं।

- टूटे वादों की विरासत: पुलों के ढहने से लेकर निर्माण के कुछ ही दिनों में राम मंदिर के गर्भ मंडप की छत से पानी टपकने तक स्थिति भयावह है। अटल ब्रिज के खुलने के छह महीने के भीतर ही दरारें आ गईं।

- अग्निवीर योजना: विवादित योजना में 21 वर्षीय अग्निवीर जितेंद्र सिंह तंवर की शहादत ने सैनिकों और उनके परिवारों के प्रति सरकार की उपेक्षा को उजागर किया। सैनिकों के प्रति सरकार में सहानुभूति नहीं।

- आर्थिक विफलताएं: डॉलर के मुकाबले रुपया 84.09 रुपए के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया है। जून 2024 में खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल आया, जिससे मुद्रास्फीति 9.36 फीसदी पर पहुंच गई। अमीर और अमीर व गरीब और गरीब हुआ।

मोदी सरकार के यू-टर्न

1. यूपीएससी के लेटरल एंट्री जॉब्स विज्ञापन को रद्द करना: पारंपरिक नौकरशाही पदोन्नति प्रणालियों को दरकिनार कर बाहरी विशेषज्ञों को लाना था। इसमें अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण शामिल नहीं था। कांग्रेस के साथ भाजपा तक के सहयोगी दलों ने विरोध किया तो इसे वापस लिया गया।

2. प्रसारण विधेयक पर पुनर्विचार: केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम 1995 को प्रतिस्थापित कर प्रसारण सेवा (विनियमन) विधेयक, 2024 लाकर मीडिया पर सरकार के अतिक्रमण और मीडिया दमन के आरोपों को जन्म दिया। विपक्षी दलों के विरोध के बाद इसे वापस लिया गया।

3. वक्फ विधेयक को जेपीसी के पास भेजना: वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 विवादास्पद कानून को भाजपा के प्रमुख सहयोगियों और मुस्लिम निकायों के विरोध के बाद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया।

4. लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स: मोदी सरकार ने संपत्ति की बिक्री के लिए लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स पर इंडेक्सेशन लाभों को हटाने के अपने फैसले को भी पलट दिया, जो 2024 के बजट में प्रस्तावित नीति थी।