
नासा के भारतवंशी वैज्ञानिक आरोह बड़जात्या 14 अक्टूबर को सूर्यग्रहण के दौरान महत्त्वपूर्ण मिशन का नेतृत्व करेंगे। मिशन के दौरान तीन रॉकेट लॉन्च किए जाएंगे। मिशन एटमॉस्फेरिक परटरबेशंस अराउंड द एक्लिप्स पाथ (एपीइपी) में पता लगाया जाएगा कि अचानक सूर्य की रोशनी में कमी हमारे ऊपरी वायुमंडल को किस तरह प्रभावित करती है।
मिशन के दौरान पहला रॉकेट सूर्यग्रहण से 35 मिनट पहले, दूसरा सूर्यग्रहण के दौरान और तीसरा 35 मिनट बाद लॉन्च किया जाएगा। इन्हें उस वलयाकार पथ के ठीक बाहर की ओर भेजा जाएगा, जहां चांद सीधे सूर्य के सामने से गुजरता है। विशेष उपकरणों से तापमान में बदलाव का अध्ययन किया जाएगा।
धुंधला होगा सूरज दिखेगा रिंग ऑफ फायर
वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तर और दक्षिण अमरीका के कई हिस्सों में लोग 14 अक्टूबर को सूरज की चमक करीब 10 फीसदी तक फीकी पड़ती देखेंगे। वलयाकार ग्रहण के कारण एक चमकदार आग के छल्ले (रिंग ऑफ फायर) से ज्यादा कुछ दिखाई नहीं देगा।
2017 में किया था प्रयोग
2017 के पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान उत्तरी अमरीका में ग्रहण पथ से सैकड़ों किलोमीटर बाहर कई उपकरणों ने वायुमंडलीय परिवर्तनों का पता लगाया था। आयनमंडल समुद्र तल से करीब 965 किलोमीटर ऊपर होता है। यह वायुमंडल का वह हिस्सा है, जहां सूर्य का यूवी विकिरण इलेक्ट्रॉनों को परमाणुओं से अलग कर आयन और इलेक्ट्रॉन बनाता है । इस दौरान गर मिशन कामयाब रहा तो सूर्यग्रहण के दौरान आइनोस्फेयर में कई स्थानों से एक साथ लिया गया इस तरह का यह पहला माप होगा।
Published on:
11 Oct 2023 12:01 pm
बड़ी खबरें
View Allबिहार चुनाव
राष्ट्रीय
ट्रेंडिंग
