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नए साल से पहले भारतीय नौसेना ने बदले सितारे, जानिए क्यों लिया ऐसा फैसला

Navy changed shoulder epaulettes: नए एपॉलेट्स में अंग्रेजी राज की नेल्सन रिंग के स्थान पर मराठा शासक की राजमुद्रा को लाया गया है।

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 Navy changed the design of shoulder epaulettes Modi government erasing slavery signs

भारतीय नौसेना ने एडमिरल, वाइस एडमिरल और रियर एडमिरल रैंक के अधिकारियों के अधिकारियों के कंधों पर लगने वाले नए एपॉलेट्स जारी किए है। नया डिजाइन छत्रपति शिवाजी महाराज की राजमुद्रा से प्रेरित है। बता दें कि पीएम मोदी ने इसी माह 4 दिसंबर को नौसेना दिवस पर महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में ये एपॉलेट्स बदलने की बात कही थी। शुक्रवार को नौसेना ने एक वीडियो जारी कर बताया कि एडमिरल रैंक के एपॉलेट्स का डिजाइन नौसेना ध्वज से लिया गया है। यह हमारी समृद्ध समुद्री विरासत का सच्चा आईना है।

नेल्सन रिंग की जगह लेंगे नए एपॉलेट्स

जानकारी के मुताबिक नए एपॉलेट्स में अंग्रेजी राज की नेल्सन रिंग के स्थान पर मराठा शासक की राजमुद्रा को लाया गया है। नया डिजाइन अष्टकोणीय है। यह आठ दिशाओं का प्रतीक है, जो सेना की सर्वांगीण दीर्घकालिक दृष्टि को दर्शाता है। इसमें तलवार है जो प्रभुत्व के जरिए जंग जीतने और हर चुनौती पर काबू पाने के नौसेना के उद्देश्य को दिखाती है। साथ ही टेलीस्कोप भी है जो बदलती दुनिया में दृष्टि, दूरदर्शिता और मौसम पर नजर रखने का प्रतीक है।

ब्रिटिश शासन के 'सेलर्स रैंक' का रिव्यू किया गया है। इसके चलते 65 हजार से ज्यादा सेलर्स को अब नई रैंक मिलेगी। पहले नौसेना के झंडे पर लाल क्रॉस का निशान होता था। ये सेंट जॉर्ज क्रॉस था, जो अंग्रेजों के झंडे यूनियन जैक का हिस्सा था। सेंट जॉर्ज क्रॉस ईसाई संत और योद्धा की निशानी थी।

इंडियन आर्मी की भी वर्दी बदल चुकी है सरकार

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने इससे पहले भारतीय थल सेना के अधिकारियों की यूनिफार्म में नए बदलावों को मंजूरी दी थी। इस मंजूरी के बाद 1 अगस्त से सेना में ब्रिगेडियर और ब्रिगेडियर से ऊपर के रैंक के सभी अधिकारी एक समान यूनिफॉर्म लागू की गई। अभी तक विभिन्न सैन्य अधिकारी अपनी संबंधित रेजिमेंट को दर्शाने वाली अलग-अलग यूनिफॉर्म पहनते हैं।

पैराशूट रेजिमेंट के अधिकारी मैरून रंग की टोपी पहनते थे, जबकि पैदल सेना, बख्तरबंद कोर, लड़ाकू सहायता हथियारों और सेवाओं के अधिकारी हरे, काले और नीले रंग की टोपी पहनते हैं। इस नए बदलाव से सेना में विभिन्न रेजिमेंट और सर्विसिस व हथियारों को दर्शाने वाली अलग-अलग वर्दी और साज-सामान पहनने वाली प्रथा समाप्त हो गई।

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