
सीएम नीतीश कुमार (Video Screenshot)
Nitish Kumar pulls woman doctor face veil video:बिहार की राजधानी पटना के 'संवाद' भवन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जो किया, वह अब एक बड़े कानूनी विवाद में बदल गया है। सीएम द्वारा मंच पर एक महिला डॉक्टर (Ayush Doctor Nusrat Parveen) का नकाब (हिजाब) हटाने की घटना पर देशभर में गुस्सा है। यह मामला अब सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि मानवाधिकार और महिला सम्मान की लड़ाई बन गया है। इस मामले में सबसे बड़ी कार्रवाई बेंगलुरु से हुई है। वहां के वकील ओवैज हुसैन एस ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है। वकील ने साफ शब्दों में कहा है कि यह घटना सामान्य नहीं है, इसलिए सीएम (Bihar CM) के खिलाफ तुरंत एफआईआर (FIR) दर्ज होनी चाहिए। उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर वायरल यह वीडियो (Nitish Kumar pulls woman doctor face veil video) न सिर्फ उस महिला डॉक्टर की बेइज्जती है, बल्कि पूरी नारी जाति के सम्मान पर चोट है।
वकील ओवैज हुसैन ने इस मामले को हल्के में नहीं लिया है। उन्होंने अपनी शिकायत की कॉपी कर्नाटक के डीजीपी, बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर, राज्य और राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW), और मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्षों को भेजी है। उन्होंने मांग की है कि संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा किए गए इस अपराध पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
सीएम पर लगे बेहद गंभीर आरोप : शिकायत में नीतीश कुमार पर कई संगीन आरोप लगाए गए हैं, जो उनकी मुश्किलें बढ़ा सकते हैं:
यौन उत्पीड़न: वकील का तर्क है कि सार्वजनिक मंच पर किसी महिला के कपड़ों से छेड़छाड़ करना यौन उत्पीड़न के दायरे में आता है।
बिना मर्जी के छूना: किसी भी बालिग महिला को उसकी इजाजत के बिना छूना या उसके कपड़े हटाना कानूनन अपराध (Assault) है।
इज्जत उछालना: महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से किया गया यह कृत्य दंडनीय है।
धार्मिक भावनाओं को ठेस: चूंकि हिजाब डॉ. नुसरत की धार्मिक पहचान थी, इसलिए उसे जबरन हटाना संविधान में मिली धार्मिक आजादी (अनुच्छेद 25) का उल्लंघन है।
यह घटना 15 दिसंबर 2025 की है। सीएम नीतीश कुमार आयुष डॉक्टरों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे। जब डॉ. नुसरत परवीन अपना पत्र लेने मंच पर पहुंचीं, तो उनका चेहरा नकाब से ढका था। सीएम ने पहले उन्हें इशारा किया और फिर अचानक खुद आगे बढ़ कर उनका नकाब नीचे खींच दिया। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हो गई और देखते ही देखते वीडियो वायरल हो गया।
इस घटना ने देश के आम नागरिकों और बुद्धिजीवी वर्ग को झकझोर दिया है। लोगों का सवाल है कि चाहे मुख्यमंत्री हों या कोई आम आदमी, किसी पुरुष को यह अधिकार किसने दिया कि वह महिला के शरीर या कपड़ों को उसकी मर्जी के बिना हाथ लगाए? इसे पितृसत्तात्मक सोच और सत्ता का नशा बताया जा रहा है।
मुस्लिम संगठनों और उलेमाओं ने इसे धार्मिक आजादी पर हमला बताया है। कई लोगों ने इसकी तुलना 'चीरहरण' से करते हुए कहा कि भरी सभा में महिला को अपमानित किया गया। वहीं, लखनऊ में समाजवादी पार्टी की नेता सुमैया राणा ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। आरजेडी और अन्य विपक्षी दलों ने सीएम की मानसिक स्थिति पर सवाल उठाते हुए इसे बेहद शर्मनाक बताया है।
इंटरनेट पर लोग सीएम के खिलाफ जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। #ShameOnNitish और #RespectWomen जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। लोग लिख रहे हैं कि अगर एक मुख्यमंत्री सरेआम ऐसा कर सकता है, तो आम महिलाओं की सुरक्षा राम भरोसे है। यूजर्स का कहना है कि यह 'गुड टच' या 'बैड टच' का नहीं, बल्कि 'घटिया व्यवहार' का मामला है।
Updated on:
17 Dec 2025 01:25 pm
Published on:
17 Dec 2025 01:22 pm
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