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मैं पूर्व सीएम की तरह जेल नहीं जाना चाहता, मुझे भी जमीन…’; उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने क्यों कह दी ये बात?

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने किसानों के भूमि अधिग्रहण विरोध के बीच कहा है कि वे पूर्व सीएम येदियुरप्पा की तरह जेल नहीं जाना चाहते। उन्होंने खुद की 12 एकड़ जमीन के अधिग्रहण का जिक्र करते हुए किसानों को बेहतर मुआवजे का भरोसा दिलाया। शिवकुमार ने केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी पर भी निशाना साधा और उनके दावों को झूठा बताया। इस मुद्दे पर कानूनी पेचीदगियों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी जिक्र किया गया।

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कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार। (फोटो- IANS)

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा की तरह जेल नहीं जाना चाहते हैं। दरअसल, वह गुरुवार को रामनगर उपायुक्त कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर रहे किसानों को संबोधित कर रहे थे, जो भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं।

इस दौरान, शिवकुमार ने कहा कि वह कानून के दायरे में रहकर किसानों की मदद करने की पूरी कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि जब बिदादी औद्योगिक क्षेत्र बना था, तब किसानों को पता था कि कौन सी सरकार सत्ता में है। उस समय 16,000 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी।

12 एकड़ जमीन मुझे भी गंवानी पड़ी- डिप्टी सीएम

शिवकुमार ने कहा कि टोयोटा जैसी कंपनियां इस क्षेत्र में आईं। यहां तक कि औद्योगिक क्षेत्र के लिए अधिग्रहित की गई जमीन में से 12 एकड़ जमीन मुझे भी गंवानी पड़ी। उस समय दिया गया मुआवजा 8 लाख रुपये से भी कम था।

शिवकुमार ने आगे कहा कि किसानों को बेहतर मुआवजा देने के लिए लगभग 10,000 करोड़ रुपये का लोन लेने पर चर्चा हुई है। हमें आपकी एक एकड़ जमीन अधिग्रहित करने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन मैं कानून को दरकिनार करके पहले से अधिग्रहित जमीन को वापस नहीं ले सकता।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी की पत्नी और बेटे के साथ-साथ लगभग 70 प्रतिशत किसानों ने अधिग्रहण को स्वीकार कर लिया है और मुआवजे के लिए आवेदन किया है।

केवल लगभग 30 प्रतिशत किसान ही इससे सहमत नहीं हैं। मैं इस पर चर्चा करूंगा कि किसानों लाभ के लिए क्या निर्णय लिए जाने चाहिए और किस प्रकार की सहायता प्रदान की जा सकती है।

डिप्टी सीएम ने पूछा- अब आप विरोध क्यों कर रहे?

इस बीच, डिप्टी सीएम ने पूछा कि 9,600 एकड़ जमीन में से लगभग 912 एकड़ जमीन उद्योगों के लिए आवंटित की गई थी। मुआवजा 1 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा प्रति एकड़ तय किया गया था। उस समय किसी ने इसका विरोध नहीं किया। अब आप (किसान) इसका विरोध क्यों कर रहे हैं?

उन्होंने कहा कि वह जमीन अधिग्रहण को लेकर जारी अधिसूचना को रद्द नहीं कर सकते हैं। इसके साथ, शिवकुमार ने खुलकर यह भी कह दिया कि वह सिर्फ बिदादी क्षेत्र के लिए कोई विशेष फैसला नहीं ले सकता। ऐसा करने से कानून का उल्लंघन होगा।

अधिग्रहित जमीन के मामले में मुआवजा ऐसे तय हुआ

शिवकुमार ने आगे कृष्णा अपर बैंक परियोजना और मेकेदातु परियोजना अधिग्रहण के बारे में भी किसानों के सामने चर्चा की। उन्होंने कहा हम इसपर भी काम कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुआवजा अधिसूचना की तारीख के अनुसार ही दिया जाना चाहिए। लेकिन हाल ही में, नाइस रोड के उत्तर में पेरिफेरल रिंग रोड के लिए अधिग्रहित जमीन के मामले में मुआवजा अदालती आदेशों से भी आगे जाकर तय किया गया है।

व्यावसायिक और आवासीय उद्देश्यों के लिए अलग-अलग दरें तय की गई थीं। परियोजना के लिए कर्ज के जरिए लगभग 27,000 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं और प्रभावित किसानों को पहले से ही मुआवजा मिल रहा है।

केंद्रीय मंत्री पर डिप्टी सीएम बोला हमला

वहीं, जब किसानों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने एक रैली में भूमि अधिग्रहण रद्द करने की घोषणा की थी, तो शिवकुमार ने इसका जवाब देते हुए कहा कि यह झूठ है। कोई भी भूमि अधिग्रहण कभी रद्द नहीं किया गया। आज वह बड़े पद पर हैं, उन्हें खुद ही आपके (किसानों) लिए अधिग्रहण रद्द कर देना चाहिए।

डिप्टी सीएम ने किसनों को समझाया। उन्होंने कहा कि यह अधिग्रहण बेंगलुरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) के लिए किया गया था। अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। तब से कोई प्रगति नहीं हुई है। मैंने कोई नया अधिग्रहण शुरू नहीं किया है। नाइस परियोजना की भूमि क्यों रद्द नहीं की गई? हमें कानून के दायरे में काम कर रहे हैं।