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OBC आरक्षण का बदल सकता है फॉर्मूला, क्रीमी लेयर पर बड़े स्तर पर बदलाव की तैयारी में है मोदी सरकार

OBC Reservation: केंद्र की मोदी सरकार ओबीसी आरक्षण के वर्तमान फॉर्मूल को बदलने की तैयारी में है। ओबीसी मामलों से जुड़ी संसदीय समिति ने क्रीमी लेयर की समान आय लागू करने के प्रस्तावों पर विचार कर रही है।

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Aug 14, 2025
OBC आरक्षण के फॉर्मूले पर बड़े बदलाव की तैयारी (Photo-ANI)

OBC Reservation: ओबीसी मामलों से जुड़ी संसदीय समिति ने केंद्र व राज्य सरकारों, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, विश्वविद्यालयों और निजी क्षेत्र में कार्यरत अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के कर्मचारियों के लिए ‘क्रीमी लेयर’ की समान आय सीमा लागू करने के प्रस्ताव पर विचार करने की सिफारिश की है। अब गेंद मोदी सरकार के पाले में है कि आगे वो क्या करती है।

माना जा रहा है कि अगर इन सिफारिशों पर सरकार आगे बढ़ती है तो यह बड़ी पहल होगी। समिति की सिफारिश का उद्देश्य आरक्षण की व्यवस्था में निष्पक्षता सुनिश्चित करना है और नए सिरे से यह तय करना है कि क्रीमी लेयर श्रेणी में कौन आता है। इस फैसले का कर्मचारियों की नियुक्ति और शिक्षण संस्थानों में नामांकन में असर पड़ सकता है।

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कौन-कौन लोग शामिल हैं OBC आरक्षण में

वर्तमान में ‘क्रीमी लेयर’ में शीर्ष सरकारी पदों वाले ओबीसी व्यक्ति, केंद्रीय और राज्य सेवाओं में वरिष्ठ अधिकारी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में कर्मचारी, सशस्त्र बल अधिकारी, पेशेवर, व्यवसाय के मालिक, संपत्ति के मालिक व निश्चित आय या धन सीमा से अधिक आय वाले लोग शामिल हैं।

कुछ सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (पीएसयू) के लिए 2017 में समान आय सीमा के नियम निर्धारित किए गए थे, लेकिन निजी क्षेत्र, विश्वविद्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों और विभिन्न राज्य सरकार निकायों के लिए यह प्रक्रिया अभी भी लंबित थी।

मंडल आयोग की सिफारिश के बाद 27% आरक्षण लागू

मंडल आयोग की सिफारिशों के तहत, नॉन-क्रीमी लेयर के ओबीसी को केंद्र सरकार की नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में 27 फीसदी आरक्षण मिलता है। राज्य सरकारों में यह प्रतिशत अलग-अलग होता है। रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्ताव सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, शिक्षा, कार्मिक एवं प्रशिक्षण (डीओपीटी), कानूनी मामले, श्रम एवं रोजगार, सार्वजनिक उद्यम, नीति आयोग और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) सहित कई मंत्रालयों और संगठनों के बीच विचार-विमर्श के बाद तैयार किया गया।

शुक्रवार को संसद में रिपोर्ट पेश

भाजपा सांसद गणेश सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने बीते शुक्रवार को संसद में पेश आठवीं रिपोर्ट में बताया कि क्रीमी लेयर में पिछली बार आय सीमा 6.5 लाख से बढ़ाकर आठ लाख रुपए प्रतिवर्ष 2017 में की गई थी। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के नियमों के अनुसार इस सीमा की समीक्षा हर तीन वर्ष में या आवश्यकता अनुसार उससे पहले की जानी चाहिए।

प्रोफेसर-शिक्षाकर्मी पर ज्यादा असर

प्रोफेसरों सहित विश्वविद्यालयी शिक्षण कर्मचारियों का वार्षिक वेतन आमतौर पर लेवल 10 लाख या उससे ऊपर से शुरू होता है, जो ग्रुप-ए के सरकारी पदों के बराबर या उससे अधिक होता है। प्रस्ताव में इन पदों को क्रीमी लेयर के अंतर्गत वर्गीकृत करने का सुझाव दिया गया है, जिसका अर्थ है कि उनके बच्चे ओबीसी आरक्षण के लाभों के पात्र नहीं होंगे।

आठ लाख है क्रीमी लेयर की आय सीमा

ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर का विचार 1992 के इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ मामले में शीर्ष कोर्ट के फैसले के बाद सामने आया था। इसे ओबीसी समुदाय के अधिक विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों को आरक्षण के लाभों से वंचित करने के लिए पेश किया गया था। सरकारी नौकरियों से बाहर काम करने वालों के लिए आय सीमा 1993 में एक लाख रुपए प्रति वर्ष निर्धारित की गई थी। बाद में इस सीमा को कई बार संशोधित किया गया। आखिरी बार 2017 में इस सीमा को बढ़ाकर आठ लाख रुपए प्रति वर्ष कर दिया गया और यह अब भी लागू है।

Updated on:
14 Aug 2025 06:40 am
Published on:
14 Aug 2025 06:37 am
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