
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर के रूप में नियुक्त किया है। सांसद भर्तृहरि महताब लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव तक अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन करेंगे। संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत यह व्यवस्था की गई है। संसदीय मामलों के मंत्री किरन रिजिजू ने बताया है कि राष्ट्रपति ने अनुच्छेद 99 के तहत सुरेश कोडिकुन्निल, थालिकोट्टई राजुथेवर बालू, राधा मोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंद्योपाध्याय को नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ या प्रतिज्ञा दिलाने में प्रोटेम स्पीकर की सहायता के लिए नियुक्त किया है।
लोकसभा चुनाव से पहले भर्तृहरि माहताब ने बीजू जनता दल को झटका दिया था। इसके बाद वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे। माहताब लगातार को लगातार चार सालों से संसद रत्न का पुरस्कार मिल रहा है। लोकसभा का सत्र 24 जून से 3 जुलाई तक चलेगा। पहले दो दिन 24 और 25 जून को सांसदों की शपथ होगी। इसके बाद 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। इस सत्र में बजट भी पेश किया जाएगा।
कांग्रेस ने जताया एतराज, कहा कोडिकुन्निल सुरेश की वरिष्ठता नजरअंदाज
भाजपा सांसद भर्तृहरि महताब प्रोटेम स्पीकर बनाने पर कांग्रेस ने अपनी आपत्ति की है। इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह संसदीय मानदंडों को नष्ट करने का एक और प्रयास है, जिसमें भर्तृहरि महताब (सात बार के सांसद) को कोडिकुन्निल सुरेश की जगह प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि कोडिकुन्निल सुरेश अपने आठवें कार्यकाल में प्रवेश करेंगे। यह एक निर्विवाद मानदंड है कि अध्यक्ष के विधिवत चुनाव से पहले संसद का सबसे वरिष्ठ सांसद सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता करता है। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह हमारी पार्टी के लिए बेहद गर्व की बात है कि समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग के नेता सुरेश ने 8 बार सांसद रहने की यह उपलब्धि हासिल की है। सरकार को यह बताना चाहिए कि उसने सुरेश को नज़रअंदाज क्यों किया, वह कौन सा कारक था, जिसने उन्हें इस पद से अयोग्य ठहराया? क्या इस निर्णय को प्रभावित करने वाले कुछ गहरे मुद्दे हैं, शायद सिर्फ योग्यता और वरिष्ठता से परे?
प्रोटेम स्पीकर की क्या है भूमिका?
संविधान के अनुच्छेद 94 के अनुसार जब भी लोकसभा भंग हो जाती है तो विघटन के बाद लोकसभा की पहली बैठक से ठीक पहले तक अध्यक्ष अपना पद खाली नहीं करेगा। नए निर्वाचन के बाद सदन का अध्यक्ष बहुमत द्वारा चुना जाता है। ऐसे में तब तक सांसदों के शपथ ग्रहण सहित अन्य अध्यक्ष पद के कार्य निर्वाहन के लिए एक प्रोटेम स्पीकर का चुनाव किया जाता है। ‘संसदीय कार्य मंत्रालय के कामकाज पर पुस्तिका’ में ‘प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ ग्रहण’ का उल्लेख है।
Updated on:
20 Jun 2024 10:24 pm
Published on:
20 Jun 2024 09:41 pm
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