
वाइट कॉलर टेरर (IANS)
दिल्ली के लाल किले मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम को हुई भयानक कार बम विस्फोट की साजिश ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हमले में 9 लोग मारे गए, जबकि 20 से अधिक घायल हो गए। जांच एजेंसियों को अब एक बड़े 'व्हाइट कॉलर टेरर इकोसिस्टम' का पता चला है, जिसमें उच्च शिक्षित डॉक्टर पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के नेटवर्क का हिस्सा बताए जा रहे हैं। तीन कश्मीरी डॉक्टरों डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. उमर मोहम्मद की गिरफ्तारी के बाद सुरक्षा बल स्तब्ध है।
सीसीटीवी फुटेज में एक नकाबपोश व्यक्ति को लाल किला मेट्रो पार्किंग में सफेद हुंडई i20 कार की ड्राइवर सीट पर बैठे दिखाया गया है। विस्फोट शाम 6:52 बजे हुआ, जब कार में छिपा IED (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) फटा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह व्यक्ति पुलवामा का डॉ. उमर मोहम्मद था, जो JeM से जुड़ा हुआ है। विस्फोट इतना जबरदस्त था कि कार का दरवाजा 100 मीटर दूर उड़ गया और आसपास की दुकानों में आग लग गई।
सुरक्षा एजेंसियों ने फरीदाबाद में इस हफ्ते पकड़े गए टेरर मॉड्यूल से विस्फोट का सीधा लिंक जोड़ा है। फरीदाबाद से 2,900 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक सामग्री जिसमें अमोनियम नाइट्रेट, हथियार और डेटोनेटर बरामद हुई। यह सामग्री सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) और फरीदाबाद (हरियाणा) के किराए के मकानों से जब्त की गई। डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. अदील राथर की गिरफ्तारी के बाद ही यह खुलासा हुआ।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने जांच अपने हाथ में ले ली है और स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की है। पूछताछ में पता चला कि आरोपी डॉक्टर फरीदाबाद के अल-फलाह यूनिवर्सिटी और अस्पताल से जुड़े थे। डॉ. उमर मोहम्मद, जो विस्फोट से पहले फरार था, JeM के पाकिस्तानी हैंडलर 'उमर बिन खत्ताब' से टेलीग्राम चैनल के जरिए संपर्क में था। इसके अलावा, लखनऊ से गिरफ्तार डॉ. शाहिना शाहिद (या शाहीन शाहिद) को JeM की 'महिला विंग' जमात-उल-मोमिनात स्थापित करने का जिम्मा सौंपा गया था।
इस मामले में अभी तक कुल मिलाकर, आठ गिरफ्तारियां हुई हैं जिनमें सात कश्मीरी हैं और JeM व अंसार गजवात-उल-हिंद (AGuH) का 'ट्रांसनेशनल मॉड्यूल' बेनकाब हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में पारंपरिक आतंकवाद कमजोर पड़ने के बाद पाकिस्तानी ISI और सेना ने रणनीति बदल ली है। अब फोकस कम पढ़े-लिखे उग्रवादियों से हटकर उच्च शिक्षित पेशेवरों जैसे डॉक्टर, इंजीनियर पर है, जो समाज में आसानी से घुल-मिल सकते हैं। 2000 के दशक में इंडियन मुजाहिदीन ने टेक ग्रेजुएट्स को लुभाया था, जो बाद में ISIS में शामिल हो गए। अब यह 'माइंड्स ओवर माउंटेंस' का दौर है पहाड़ों से दिमागों तक, बंदूकों से कट्टरपंथ तक।
Published on:
12 Nov 2025 02:42 pm
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