19 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

लक्षद्वीप पर कब्जा करने वाला था पाकिस्तान, सरदार पटेल ने पलट दी थी बाजी, यहां पढ़िए पूरी कहानी

Lakshadweep Tourism Row: मालदीव के मंत्रियों की नरेंद्र मोदी और भारत पर टिप्पणी के बाद लक्षद्वीप अचानक चर्चा में आ गया। प्रधानमंत्री ने भी हाल ही यहां के खूबसूरतों द्वीपों की यात्रा की और इसे खूबसूरत जगह बताया था। इस समय वहां पर्यटकों की अचानक से बाढ़ सी आ गई है। आइए, भारत के इस सुरम्य द्वीप के भारत में मिलने की पूरी कहानी...

2 min read
Google source verification
know_how_lakshadweep_became_a_part_of_india.png

Know How Lakshadweep became a part of India : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूबसूरत लक्षद्वीप की यात्रा के बाद यह पूरी दुनिया की नजर में आ गया है। लेकिन भारत के पश्चिमी तट से करीब 300 किलामीटर दूर यह द्वीप भारत के हिस्से में कैसे आया? क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान ने लक्षद्वीप पर कब्जा करने की कोशिश की थी? लक्षद्वीप भारत के कब्जे में कैसे आया, इसकी पूरी कहानी यहां पढ़िए।

बात 1947 की है। भारत पाकिस्तान बंटवारा हो चुका था। दोनों देश रियासतों को अपने में ज्यादा से ज्यादा विलय कराकर देश को विस्तार देने में लगे हुए थे। भारत की तरफ से रियासतों के विलय की जिम्मेंदारी लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल संभाल रहे थे। वह बहुत तेजी से मुख्यभूमि की रियासतों को भारत में विलय कराने के लगे हुए थे। उन्होंने भारत में साढ़े 500 रियासतों को मिला भी लिया।

इसी दौरान दूरदर्शी सरदार पटेल को लक्षद्वीप कब्जाने को लेकर पाकिस्तानी साजिश की भनक लगी। फिर क्या था उन्होंने दक्षिणी रियासत के मुदालियर भाइयों से कहा कि वह अपनी सेना लेकर बहुत तेजी से लक्षद्वीप जाएं और वहां तिरंगा फहरा दें। सरदार के निर्देश पर रामास्वामी और लक्ष्मणस्वामी मुदालियर ने तुरंत लक्षद्वीप पर पहुंचे और वहां तिरंगा लहरा दिया।

भारत के लक्षद्वीप पहुंचने के चंद घंटों बाद पाकिस्तानी युद्धपोत भी आ धमके लेकिन तब तक द्वीप भारत का हिस्सा हो चुका था। पाकिस्तानी भारतीय ध्वज को लहराता देख मनमसोस कर वापस चले गए। लक्काद्वीप, मिनिकॉय और अमीनदीवी द्वीपसमूह सहित लक्षद्वीप के 36 द्वीप भारत का हिस्सा बन गए।

1947 से अब तक
1947 में भारत में शामिल करने के बाद 1956 में इसे केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। 1971 में इन सभी द्वीपों को मिलाकर इसका नाम लक्षद्वीप रखा गया। अब यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के बाद पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

सुरक्षा और व्यापार के लिहाज से अहम
देश की सुरक्षा में लक्षद्वीप की बेहद अहम भूमिका है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां से दूर-दूर तक के जहाजों पर नजर रखी जा सकती है। समुद्र में चीन के बढ़ते दखल के बाद भारत लक्षद्वीप में मजबूत सैन्यअडडा तैयार कर रहा है ताकि समुद्र में हो रही गतिविधि पर नजर रखी जा सके। समुद्री व्यापार और व्यवसाय के लिहाज से भी ये द्वीप समूह भारत के लिए बहुत जरूरी है।

भारतीयों को भी लेनी होती है अनुमति
लक्षद्वीप भले ही भारत का अभिन्न अंग है लेकिन अगर आप राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा या भारत के किसी अन्य राज्य रहने वाले हैं तो आपको एक अनुमति पत्र लेना होगा। इसके बाद ही आप लक्षद्वीप जा पाएंगे। केंद्र सरकार ने लक्षद्वीप की सांस्कृतिक विरासत और आदिवासी समूहों की विरासत को बचाए रखने के लिए किया है। यहां ज्यादातर आबादी मुस्लिम है।

यह भी पढ़ें :लक्षद्वीप में आज से इजरायल शुरू कर रहा ये खास प्रोजेक्ट, मल्लका में डूब जाएगा मालदीव पर्यटन