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पंडित नेहरु की तारीफ में क्या बोल गए PM मोदी, जिसकी हर तरफ हो रही चर्चा

PM Narendra modi on Pandit Nehru: संसद के विशेष सत्र के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपने संबोधन में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरु की तारीफ की। पीएम मोदी के इस भाषण की चर्चा हर जगह खूब हो रही है।

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PM Narendra Modi praise Pandit Nehru: आज संसद के विशेष सत्र की शुरुआत हुई। इस दौरान पीएम मोदी ने पुरानी संसद में अपने आखिरी भाषण में इस संसद से जुडी कई पुरानी बातों का जिक्र किया। यहां की उपलब्धियों के बारे में भी बात की। पीएम मोदी ने पुराने संसद भवन को विदा देते हुए कहा कि इस भवन से कई ऐसे फैसले किए गए जिसने देश की दशा और दिशा बदली। आज का उनका भाषण कई मायनों में खास रहा। आमतौर पर नेहरु और गांधी परिवार को निशाने पर लेने वाले पीएम मोदी ने आज पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी की तारीफ की। देश को आगे बढ़ाने में उनके योगदान को अहम बताया। इसके अलावा पीएम ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और नरसिम्हा राव का भी जिक्र किया। लेकिन पंडित नेहरु को लेकर जो बयान उन्होंने दिया वो हर जगह चर्चा का कारण बना हुआ है।


पंडित जवाहरलाल नेहरू के बारे में क्या बोले पीएम मोदी

पुराने संसद भवन में अपने आखिरी भाषण के दौरान पीएम मोदी ने पंडित नेहरू को याद करते हुए कहा, 'नेहरू जी का इसी सदन में दिया गया 'एट द स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट' भाषण हम सबको प्रेरित करता रहेगा। इसी सदन में अटल जी ने कहा था कि सरकारें आएंगी और जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, लेकिन यह देश रहना चाहिए।'पंडित नेहरू की प्रारंभिक परिषद थी, तब बाबा साहेब आंबेडकर दुनिया के श्रेष्ठ तौर-तरीकों को यहां लाने के आग्रही थे। इसका देश को लाभ मिला। बाबा साहेब हमेशा कहते थे कि सामाजिक न्याय के लिए औद्योगिकीकरण होना जरूरी है। श्यामा प्रसाद मुखर्जी भी नेहरूजी की सरकार में पहले वाणिज्य और उद्योग मंत्री थे। वे पहली औद्योगिक नीति लेकर आए। उनका अहम योगदान रहा था।'


लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के बारे में....

पीएम ने अपने भाषण में पूर्व पीएम शास्त्री का जिक्र करते हुए कहा - 'लाल बहादुर शास्त्री जी ने 1965 के युद्ध में देश के जवानों का हौसला इसी सदन से बुलंद किया था। यहीं उन्होंने हरित क्रांति की मजबूत नींव रखी थी।' इसके बाद उन्होंने इंदिरा गांधी का भी जिक्र किया और कहा- 'बांग्लादेश की मुक्ति का आंदोलन और उसका समर्थन भी इसी सदन ने इंदिरा गांधी के नेतृत्व में किया था। इसी सदन ने इमरजेंसी में लोकतंत्र पर होता हुआ हमला भी देखा था। भारत के लोगों की ताकत का अहसास कराते हुए मजबूत लोकतंत्र की वापसी भी इसी सदन ने देखी। जब तीन प्रधानमंत्री नेहरू जी, शास्त्री जी, इंदिरा जी को खोने की नौबत आई, तब यह सदन उन्हें अश्रुपूरित आंखों से विदाई दे रहा था। सभी सुख और दुःख के पल में पूरा सदन साथ था।'