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सांसद-विधायक की शैक्षणिक योग्यता पर डॉ.राजेंद्र प्रसाद की उदाहरण दे उठाए सवाल, हाईकोर्ट की टिप्पणी से बवाल

कोर्ट ने कहा कि 75 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन आज तक 'पहला पछतावा' सुधार की प्रतीक्षा कर रहा है। आज भी देश में मंत्री-सांसद या विधायक बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है।

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पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद द्वारा विधायकों-सांसदों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता नहीं होने के पछतावे पर आज तक ध्यान नहीं दिया गया। जस्टिस महाबीर सिंह सिंधु ने 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा में डॉ.प्रसाद द्वारा दिए गए भाषण का उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि कानून बनाने वालों के बजाय, कानून को लागू करने या लागू करने में मदद करने वालों के लिए उच्च योग्यता पर जोर देना असंगत है।

इसी भाषण में प्रथम राष्ट्रपति ने शैक्षणिक योग्यता तय नहीं करने को पहला और देश की भाषा में संविधान नहीं लिखने को दूसरा पछतावा बताया था। कोर्ट ने कहा कि 75 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन आज तक 'पहला पछतावा' सुधार की प्रतीक्षा कर रहा है। आज भी देश में मंत्री-सांसद या विधायक बनने के लिए शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यह टिप्पणियां उस आपराधिक शिकायत को खारिज करते हुए की जिसमें आरोप लगाया गया था कि भाजपा नेता और पूर्व विधायकराव नरबीर सिंह ने नामांकन पत्र में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी दी थी।