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श्री रेणुका येल्लम्मा देवी मंदिर में रिकॉर्ड चढ़ावा, 55 दिनों में ₹1,48,95,404 का दान, दर्शन मात्र से मिलती है फर्टिलिटी

श्री रेणुका यल्लम्मा देवी मंदिर कर्नाटक राज्य में स्थित है। जो बेलगाम जिले के अथानी तालुक के कोकटनूर गांव के यलम्मा वाड़ी में स्थित है। इस मंदिर में भगवान परशुराम (भगवान विष्णु के 6वें अवतार) की माता और जमदग्नि की पत्नी श्री रेणुका देवी को पूजा जाता है।

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कर्नाटक बेलगाम जिले के कोकटनूर गांव स्थित श्री रेणुका येल्लम्मा देवी मंदिर में भक्तों ने कुल ₹1,48,95,404 की राशि दान की है। पिछले 55 दिनों में सोना, चांदी और कैश मिलाकर खजाने में रिकॉर्ड तोड़ चढ़ावा आया। 25 मई से 20 जुलाई तक येल्लम्मा देवी मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों ने कुल डेढ़ करोड़ का दान किया है। इसमें से ₹1.35 करोड़ नकद, ₹11.79 लाख के सोने के आभूषण, ₹1.80 लाख की चांदी दान की गई है। विधायक विश्वास वैद्य रिकॉर्ड तोड़ दान से काफी खुश नजर आ रहे हैं।

विष्णु की 6वें अवतार की माता हैं श्री रेणुका यल्लम्मा देवी

श्री रेणुका यल्लम्मा देवी मंदिर कर्नाटक राज्य में स्थित है। जो बेलगाम जिले के अथानी तालुक के कोकटनूर गांव के यलम्मा वाड़ी में स्थित है। इस मंदिर में भगवान परशुराम (भगवान विष्णु के 6वें अवतार) की माता और जमदग्नि की पत्नी श्री रेणुका देवी को पूजा जाता है। यह मंदिर श्री रेणुका देवी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। जो छोटी जगह पर होने के बावजूद भक्तों का तांता लगा रहता है। देवी येल्लम्मा को दक्षिण भारतीय राज्यों के अलावा, महाराष्ट्र में भी पूजा जाता है. रेणुका, भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम की माता थीं। यहां धर्मशालाओं और स्वास्थ्य केंद्रों की सुविधाएं भी उपलब्ध है।

चालुक्य और राष्ट्रकूट शैली में बना है मंदिर

वास्तुकला की बात करें तो चालुक्य और राष्ट्रकूट शैलियों में बनाया गया है। नक्काशी में जैन शैली का प्रभाव भी दिखता है। ये मंदिर बेलगाम से लगभग 80 किलोमीटर दूर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। इस मंदिर में हर साल दिसंबर में बहुत बड़ा उत्सव आयोजित होता है। उत्सव में दक्षिण महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक से लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1514 में रायबाग के बोमप्पा नाइक ने शुरू करवाया था। परिसर में भगवान गणेश, मल्लिकार्जुन, परशुराम, एकनाथ और सिद्धेश्वर की मूर्तियां हैं।

नष्ट हो जाते हैं त्वचा के रोग

येल्लम्मा देवी मंदिर सौंदत्ती के पास एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह प्राचीन शहर है जो रट्टा वंश की पहली राजधानी थी। मंदिर के परिसर में तीन पवित्र कुंड हैं। कुमकुम कुंडम, योनी कुंडम और अरिहं कुंडम है। यहां एक बहुत ही पवित्र कुंआ भी है। इसे जोगल भावी कहा जाता है। इस कुएं को लेकर यह मान्यता है कि जो व्यक्ति इन कुंडों के जल से स्नान कर लेता है। उसके त्‍वचा से जुड़े सभी रोग खत्‍म हो जाते हैं।

फर्टिलिटी की भी है मान्यता

येल्लम्मा देवी की पहचान देवी काली से भी की जाती है। देवी काली को पापियों का नाश करने वाली दंड देने वाली के रूप में जाना जाता है। येल्लमा देवी की मान्यता इससे ठीक उलट है। इन्हें एक दयालु मां भी हैं जो अपने भक्तों पर प्यार और आशीर्वाद बरसाती हैं। इसी दृष्टि से यहां इनकी पूजा की जाती है। इसके अलावा येल्‍लम्‍मा देवी को उर्वरता यानी फर्टिल‍िटी से भी जोड़ा जाता है। जिस पहाड़ी श्री रेणुका येल्लम्मा मंदिर बना हुआ है। इसे सिद्धचल पर्वत कहा जाता है। अब इस मंदिर का नाम 'येल्लम्मा गुड़ी' रखा गया है। इस मंदिर में देवी रेणुका को उर्वरता देवी के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि इससे किसी की भी उर्वरता बढ़ जाती है।