20 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

तकनीकी संस्थानों के गवर्निंग बोर्ड में रिटायर्ड जनरल!

-एक डोकलाम में चीन को धूल चटाने वाला तो दूसरा बालाकोट का 'छुपा रुस्तम'

2 min read
Google source verification
तकनीकी संस्थानों के गवर्निंग बोर्ड में रिटायर्ड जनरल!

तकनीकी संस्थानों के गवर्निंग बोर्ड में रिटायर्ड जनरल!

नई दिल्ली। विज्ञान और तकनीकी क्षेत्र में नवाचार के साथ अनुभव का फायदा उठाने की नीति का अनुसरण करते हुए केंद्र सरकार ने भारतीय प्रोद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) व भारतीय सूचना तकनीक संस्थान (आईआईआईटी) जैसे उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों में तकनीकी रूप से दक्ष सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) का जिम्मा सौंपने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं।

केंद्र सरकार की अनुशंसा पर राष्ट्रपति ने हाल ही थलसेना के लेफ्टिनेंट जनरल पद पर रह चुके दो वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारियों को राजस्थान के कोटा व हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थापित राष्ट्रीय महत्व के तकनीकी संस्थानों के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का मुखिया बनाया है। गत शुक्रवार को राष्ट्रपति ने भारतीय सेना के पूर्व सैन्य सचिव रहे लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल भट्ट को कोटा स्थित त्रिपल आईटी व सीडीएस के अधीन इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के उप प्रमुख रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) कंवलजीत सिंह ढिल्लों को आईआईटी-मंडी के बीओजी का अध्यक्ष नियुक्त किया है। दोनों सेवानिवृत्त जनरल की नियुक्ति तीन-तीन साल के लिए की गई है।

जनरल भट्ट चीन के साथ डोकलाम संकट के दौरान सैन्य अभियान महानिदेशक थे। उन्होंने श्रीनगर स्थित चिनार कोर की कमान भी संभाली थी। अभी वे देश में अंतरिक्ष से संबंधित उद्योग और प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने वाले भारतीय अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक हैं। 9वीं गोरखा बटालियन में 19 दिसंबर 1981 को कमीशन हासिल करने वाले भट्ट जून 2020 में सैन्य सचिव पद से रिटायर हुए थे।

इसी तरह एमएससी, एमफिल व डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाले सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ढिल्लों पुलवामा हमले के बाद फरवरी 2019 में हुई बालाकोट एयर स्ट्राइक के वक्त सेना की 15वीं कोर के जीओसी थे। इसके बाद अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के वक्त भी वे वहीं तैनात थे। बाद में वे इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के उप प्रमुख व डिफेंस इंटेलीजेंस एजेंसी के महानिदेशक भी रहे। इन दिनों उनकी किताब 'कितने गाजी आए, कितने गाजी गए...' भी चर्चा में है।

जानकारों का कहना है कि दोनों रिटायर्ड जनरल को उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों की कमान सौंपा जाना न सिर्फ रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के प्रयासों को मजबूत करेगा, बल्कि स्वदेशी सैन्य उपकरणों सम्बन्धी तकनीक के मामले में भी विद्यार्थियों को इनके लम्बे अनुभव का लाभ मिलेगा।