
कांग्रेस नेता सुजीत को पुलिस ने झूठे आरोप में पकड़ा था। (फोटो : Patrika)
RTI कार्यकर्ताओं के लिए अच्छी खबर है। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम को प्रभावी और नागरिकों के अनुकूल बनाने की दिशा में गुजरात सूचना आयोग ने हाल ही में एक अहम निर्णय लिया है। आयोग ने साफ किया है कि सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदकों को बार-बार पुलिस थाने या कार्यालय बुलाना अब स्वीकार्य नहीं होगा।
यह फैसला नवसारी जिले के खेरगाम पुलिस थाने से जुड़े एक मामले में पारित किया गया था, जहां आवेदकों को आरटीआई फीस जमा करने और सूचना देने के लिए बार-बार थाने बुलाया जा रहा था। इसी तरह का एक और मामला जूनागढ़ के पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय से जुड़ा हुआ है, जिसमें एक आरटीआई आवेदक को 146 रुपये का शुल्क जमा कराने के लिए व्यक्तिगत रूप से बुलाया गया। आवेदक के नहीं जाने पर सूचना नहीं दी गई।
आयोग ने इस रवैये को आरटीआई अधिनियम की भावना के खिलाफ माना और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह ट्रेंड अगर जारी रहा तो संबंधित अधिकारी के खिलाफ धारा 20(1) के तहत जुर्माना और धारा 20(2) के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की जाएगी।
आयोग ने राज्य पुलिस बल के प्रमुख (DGP) को आदेश दिया है कि 15 दिनों में पूरे पुलिस विभाग को इस फैसले के बारे में बता दिया जाए और सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में किसी भी आरटीआई आवेदक को अनावश्यक रूप से कार्यालय न बुलाया जाए।DGP कार्यालय ने 17 जुलाई को इस आदेश के पालन के लिए सभी जिलों को निर्देश भेज दिए हैं।
Published on:
22 Jul 2025 04:14 pm
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