
बीके हरिप्रसाद के बयान पर बीजेपी का पलटवार (ANI)
कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद (BK Hariprasad) के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को "भारतीय तालिबान" कहने वाले बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब हरिप्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए गए भाषण की आलोचना की, जिसमें उन्होंने आरएसएस की 100 साल की सेवा की तारीफ की थी। हरिप्रसाद के इस बयान पर बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसे राष्ट्रवाद और सनातन धर्म का अपमान बताया।
बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने एक वीडियो संदेश में कहा कि हरिप्रसाद, जो गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं, ने न केवल आरएसएस को तालिबान से जोड़ा, बल्कि यह भी कहा कि "पाकिस्तान हमारा दुश्मन नहीं, बल्कि बीजेपी का दुश्मन है।" पूनावाला ने कांग्रेस पर राष्ट्रवादी संगठनों और हिंदुओं को बदनाम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को सेना में "गुंडे", सर्जिकल स्ट्राइक में "खून की दलाली" और राष्ट्रवादी संगठनों में "तालिबान" नजर आता है, लेकिन वह पीएफआई, सिमी और पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को "भाईजान" मानती है।
पूनावाला ने सवाल उठाया कि अगर आरएसएस तालिबान जैसा है, तो फिर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण जैसे दिग्गजों ने इसकी तारीफ क्यों की? उन्होंने यह भी पूछा कि 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में आरएसएस को क्यों आमंत्रित किया गया था?
वहीं, बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने हरिप्रसाद के बयान को "गिरी हुई मानसिकता" का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का आतंकी संगठनों जैसे तालिबान, हमास और आईएसआईएस के प्रति झुकाव जगजाहिर है। सिरसा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की राजनीति वोट बैंक पर टिकी है, जिसके लिए वह आतंकी संगठनों को भी बढ़ावा देने से नहीं हिचकती।
हरिप्रसाद ने अपने बयान में आरएसएस पर देश में अशांति फैलाने और इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि बंगाल के विभाजन का प्रस्ताव सबसे पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री एके फजलुल हक और जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने रखा था, और जिन्ना व सावरकर भी अलग-अलग राष्ट्रों की मांग कर रहे थे। उन्होंने बीजेपी और आरएसएस पर कांग्रेस को बदनाम करने का इल्जाम लगाया। आरएसएस की कानूनी स्थिति और फंडिंग पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक पंजीकृत संगठन नहीं है और इसके फंडिंग स्रोत अस्पष्ट हैं, जो संवैधानिक नियमों का उल्लंघन है।
Published on:
17 Aug 2025 02:04 pm
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