
न्यायमूर्ति मुकुंद जी सेवलीकर की एकल न्यायाधीश पीठ ने 21 दिसम्बर को परमेश्वर धागे द्वारा आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर फैसला सुनाया। 21 अगस्त को जलाना के एक सेशन कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के विरुद्ध यह याचिका दायर किया गया था।अदालत ने माना कि महिला का शरीर उसका अपना होता है| दूसरे को बिना उसकी इजाजत इसे छूना अपराध है| भले ही यह किसी भी उद्देश्य के लिए क्यों न हो।
क्या है पूरा मामला
4 जुलाई 2014 को पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के अनुसार, वो उसके सास-ससुर अपने घर में अकेले थे और उसका पति गांव गया हुआ था। रात करीब 8 बजे आरोपी पीड़िता के घर गया और उससे पूछा कि उसके पति कब लौटेंगे? पीड़िता ने जवाब दिया कि उसके पति आज रात नहीं लौटेंगे| जिसके बाद वह आरोपी दोबारा करीब रात 11 बजे फिर उसके घर गया जब वह सो रही थी| पीड़िता ने अपने घर का मुख्य दरवाजा बंद नहीं किया हुआ था। जब उसे लगा कि कोई उसे छू रहा है तो वह जग गई और पाया कि आरोपी उसके पैरों के पास उसी की खाट पर बैठा है। जिसके बाद पीड़िता ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया| सास ससुर के जगने के बाद वह आरोपी भाग गया| अगली सुबह पीड़िता ने फोन करके घटना की जानकारी अपने पति को दी। जब उसका पति घर वापस आया तो उसने आरोपी के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी |
आरोपी के वकील प्रतीक भोंसले ने यह दावा किया कि दरवाजा अंदर से बंद नहीं था, जिससे यह संकेत मिलता है कि आरोपी, पीड़िता की सहमति से घर में प्रवेश किया था।पीठ ने आरोपी पक्ष के याचिका को खारिज करते हुए कहा कि किसी भी महिला के शरीर को बिना उसके सहमति के छूना अपराध है।
कोई भी व्यक्ति बिना किसी गन्दे मकसद से किसी महिला के घर में 11 बजे रात को प्रवेश नहीं करता। उसने शाम में यह सुनिश्चित किया था कि पीड़िता का पति घर पर नहीं है और रात में वह उस महिला का फायदा उठाएगा। जज ने कहा कि जब महिला ने उस व्यक्ति को यह बताया कि आज उसका पति रात को नहीं लौटेगा, इसके बाद ही आरोपी ने इस हरकत का मन बना लिया था।
Updated on:
25 Dec 2021 05:50 pm
Published on:
25 Dec 2021 05:44 pm
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