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पूर्व PFI अध्यक्ष अबूबकर को एक और झटका, सुप्रीम कोर्ट ने UAPA मामले में जमानत देने से किया इंकार

अबूबकर को 22 सितंबर, 2022 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था। उन पर इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक ऐण्ड सिरिया (ISIS) जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया।

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Supreme Court denies bail to ex-PFI chairman Abubacker in UAPA case

Supreme Court denies bail to ex-PFI chairman Abubacker in UAPA case

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के पूर्व अध्यक्ष ई अबूबकर (E Abubacker) को जमानत देने से इनकार कर दिया। पूर्व PFI अध्यक्ष अबूबकर ने आतंकवाद विरोधी कानून गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में चिकित्सा आधार पर अपनी रिहाई की मांग की थी।

इसलिए नहीं दी जा सकती जमानत


जस्टिस सुंदरेश और राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि वह इस स्तर पर चिकित्सा आधार पर जमानत देने के लिए इच्छुक नहीं है और उन्हें ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने तर्क दिया कि अबूबकर की ओर से उठाई गई सभी चिकित्सा स्थितियों को विभिन्न उपचारों के माध्यम से अनुकूलित किया गया है और इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है।

इन आरोपों पर हुई गिरफ्तारी

अबूबकर को 22 सितंबर, 2022 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था। सरकार ने 28 सितंबर, 2022 को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून के तहत PFI और उसके कई सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया, उन पर इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक ऐण्ड सिरिया (ISIS) जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया।

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कोर्ट में लगाई ये दलीलें

पूर्व PFI अध्यक्ष ई अबूबकर ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 28 मई, 2024 के आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय (SC) का दरवाजा खटखटाया। हालांकि कि सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। अबूबकर ने कहा कि वह सत्तर साल के हैं और पार्किंसन रोग (Parkinson's disease) से पीड़ित हैं और उन्होंने कैंसर के इलाज के लिए सर्जरी भी करवाई है। अबूबकर के खिलाफ आरोपों में से एक यह है कि वह पहले प्रतिबंधित संगठन सिमी से जुड़ा था और बाद में वह पीएफआई का अभिन्न अंग बन गया। वह PFI के बैंक खातों के संबंध में अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता भी था।