
अंचेट्टी गांव की तीन शिक्षक दोस्तों ने किस्मत बदल डाली। (काल्पनिक तस्वीर: ChatGpt)
Tamil Nadu Adivasi education: कृष्णगिरि के घने जंगल व पहाड़ियों के बीच ऊंची चोटी पर बसे अंचेट्टी गांव पिछले एक दशक में बदल गया है। कभी शिक्षा और स्कूल से दूर रहने अनपढ़ आदिवासियों के इस गांव के बच्चे आज इंजीनियर और डॉक्टर बन रहे हैं।
तीनों दोस्तों के प्रयास से अब गांव के बच्चों में पढ़ाई की ललक जगी है। गांव के लोग याद करते हैं कि सरकारी स्कूल के तीन शिक्षक दोस्तों वी.सतीश, एम.गणेशमूर्ति और के. मुनिराज ने शिक्षा को लेकर आदिवासी परिवारों और बच्चों में ऐसी अलख जगाई कि आज गांव का हर बच्चा स्कूल में पढ़ने को लालायित है और अपने बड़े भाई-बहनों की तरह कॅरियर बनाना चाहते हैं।
स्कूल के पूर्व छात्र और एक पूर्व बंधुआ मजदूर के बेटे एम.विश्वनाथन ने खुद तीन दोस्तों की मुहिम से इस बदलाव की कहानी सुनाई। विश्वनाथन डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अंग्रेजी शिक्षक सतीश ने 12 साल पहले शहरों की चमक दमक से दूर अंचेट्टी गांव की स्कूल को सेवा के लिए चुना। स्कूल पहुंचने का कोई साधन नहीं होने से पैदल पहाड़ी पर जाना होता था। बाद में उनके आग्रह पर उनके दो मित्र गणेशमूर्ति और मुनिराज ने भी उसी स्कूल में जॉइन किया।
सतीश ने बताया कि शुरुआत में आदिवासी परिवार बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते थे लेकिन उन्होंने हर घर-परिवार से मिलकर उन्हें शिक्षा और उससे गरीबी दूर होने के बारे में समझाया तो वे मानने लगे। धीरे-धीरे सिलसिला आगे बढ़ा तो स्कूल में छात्रों की संख्या बढ़ने लगी। अंचेट्टी, दोड्डामंजू, नटरामपालयम, थाडिक्कल और मदक्क पंचायतों से छात्र आने लगे। कुछ संस्थाओं की मदद से परिवहन के साधन भी मुहैया करवाए गए। जहां जरूरत पड़ी वहां तीनों दोस्तों ने अपनी जेब से आर्थिक मदद दी।
सतीश ने बताया कि स्कूली शिक्षा पूरी होने पर कॉलेज में आगे पढ़ाई के लिए भी परिवारों को मनाना पड़ा। परिजन राजी हुए तो उच्च शिक्षा में प्रवेश और फीस की मदद भी करवाई। इसी साल आदिवासी छात्रा वर्षा को इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश हुआ तो एक बस चालक फीस की मदद के लिए आगे आए। स्कूल से पढ़े विद्यार्थियों का एमबीबीएस में भी दाखिला हुआ है।
Published on:
22 Sept 2025 12:00 pm
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