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प्रधानमंत्री पद की गरिमा को… PM Modi के भाषण पर टिप्पणी कर बोले कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में संविधान पर चर्चा पर जवाब दिया। पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने एक दो बार नहीं बल्कि 75 बार संविधान को बदला।

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कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को गिराया है। तिवारी ने डॉ. बीआर अंबेडकर के उस बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा था कि जवाहरलाल नेहरू भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। उन्होंने कहा, "कल पीएम मोदी ने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को गिराया। डॉ. बीआर अंबेडकर ने खुद कहा था कि अगर जवाहरलाल नेहरू नहीं होते तो संविधान नहीं बनता। यह देश का दुर्भाग्य है कि आपके (पीएम मोदी के) नेतृत्व में संविधान की गरिमा को तार-तार किया गया है। पीएम मोदी ने संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की गरिमा को गिराया है।

PM मोदी का कांग्रेस पर हमला

शनिवार को पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए उस पर संविधान का अनादर करने का आरोप लगाया और भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए ग्यारह प्रतिज्ञाएँ पेश कीं, जिसमें कहा गया कि सरकार और लोगों को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और देश की राजनीति "परिवारवाद" से मुक्त होनी चाहिए।

गांधी परिवार पर संविधान के अनादर का आरोप

संविधान के 75 साल पूरे होने पर लोकसभा में दो दिवसीय चर्चा का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने नेहरू गांधी परिवार का बार-बार जिक्र किया और इसके नेताओं की हर पीढ़ी पर संविधान का अनादर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "कांग्रेस ने लगातार संविधान का अनादर किया है। इसने इसके महत्व को कम करने का प्रयास किया है। कांग्रेस का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है।"

कांग्रेस पर कटाक्ष

उन्होंने कांग्रेस के 'गरीबी हटाओ' नारे को लेकर उस पर "सबसे बड़ा जुमला" कटाक्ष किया और कहा कि उनकी सरकार का मिशन गरीबों को उनकी कठिनाइयों से मुक्त करना है। प्रधानमंत्री ने कहा, "अगर हम अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करते हैं, तो हमें विकास करने से कोई नहीं रोक सकता।" आपातकाल के लिए कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि देश को जेल में बदल दिया गया, नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया।

कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि 1947 से 1952 तक भारत में कोई निर्वाचित सरकार नहीं थी, बल्कि एक अस्थायी, चयनित सरकार थी, जिसमें कोई चुनाव नहीं होता था। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 1952 से पहले राज्यसभा का गठन नहीं हुआ था और राज्य स्तर पर चुनाव नहीं होते थे, यानी लोगों का कोई जनादेश नहीं था। संविधान के 75 साल पूरे होने पर दो दिवसीय बहस शुक्रवार को लोकसभा में शुरू हुई।

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