
Rohit Arya: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश रोहित आर्य को हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में महत्वपूर्ण पद मिला है, जो एक चर्चा का विषय बन गया है। राज्य की ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ समिति में समन्वयक के रूप में उनकी नियुक्ति की खबर सामने आई है। यह नियुक्ति तब हुई जब न्यायमूर्ति आर्य पिछले साल जुलाई में सेवानिवृत्त हुए थे, और महज तीन महीने बाद ही भाजपा में शामिल हो गए थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने उन्हें पुष्यमित्र भार्गव के साथ मिलकर यह जिम्मेदारी सौंपी।
न्यायमूर्ति आर्य का नाम कई बड़े और विवादास्पद मामलों में सामने आया। 2021 में, उन्होंने कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी और नलिन यादव को जमानत देने से मना कर दिया था, जिन पर इंदौर में नए साल के शो के दौरान धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और कोविड-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने का आरोप था। उनके फैसले ने खूब सुर्खियां बटोरीं, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके पास मौजूद साक्ष्य दर्शाते हैं कि आरोपियों ने जानबूझकर भारतीय नागरिकों के एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश की थी। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य का कर्तव्य है कि वह ऐसे “नकारात्मक शक्तियों” को समाज में घुसने से रोके।
न्यायमूर्ति आर्य के न्यायिक फैसलों की आलोचना भी की जाती रही है। उदाहरण के तौर पर, 2020 में एक मामले में उन्होंने आरोपी को इस शर्त पर जमानत दी कि वह रक्षा बंधन पर शिकायतकर्ता के सामने आकर राखी बांधे। हालांकि, यह फैसला कड़ी आलोचना का शिकार हुआ और बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे पलट दिया, और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में जमानत देने के संबंध में निचली अदालतों को दिशा-निर्देश जारी किए।
Updated on:
24 Jan 2025 01:21 pm
Published on:
24 Jan 2025 08:49 am
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