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भारतीयों के प्यार की भाषा अनूठी, नहीं हो सकता अनुवाद

51 फीसदी भारतीयों के शब्दों का नहीं हो सकता अंग्रेजी अनुवाद  

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भारतीयों के प्यार की भाषा अनूठी, नहीं हो सकता अनुवाद

भारतीयों के प्यार की भाषा अनूठी, नहीं हो सकता अनुवाद

नई दिल्ली. 'कोस-कोस पर बदले पानी और चार कोस पर वाणी’ जैसी कहावतें हमारे देश में प्रचलित हैं। हाल ही एक सर्वे से साफ हो गया कि भारतीय लोग बोलचाल के दौरान क्षेत्रीय भाषाओं का जमकर इस्तेमाल करते हैं। लैंग्वेज लर्निंग प्लेटफॉर्म डुओलिंगो और यूगॉव की ओर से किए गए सर्वे में बताया गया कि 51 प्रतिशत भारतीय प्यार जताने, मजाक करने सहित आपसी चर्चा में क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दों और वाक्यों का प्रयोग करते हैं। इनका अंग्रेजी में पूरी तरह अनुवाद नहीं किया जा सकता। सर्वे शहरों में रहने वाले भारतीयों की भाषा और अभिव्यक्ति पर आधारित था।सर्वे के दौरान 68 फीसदी लोगों का कहना था कि कुछ स्थानीय भाषाओं में ऐसे शब्द या वाक्य होते हैं, जिनका मतलब बिल्कुल साफ होता है और लोग आसानी से समझते हैं। हालांकि इनका अंग्रेजी अनुवाद मुश्किल होता है। इसके साथ ही 51 प्रतिशत लोगों का मानना है कि ये शब्द आपको बुद्धिमान बताने का काम भी करते हैं।

पेज पर क्षेत्रीय भाषाओं के शब्दों की खोज

डुओलिंगो इंडिया के इंस्टाग्राम पेज पर ‘इंग्लिश मैं नहीं जानता’ अभियान शुरू किया गया है। अभियान के दौरान लोगों ने क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों के ऐसे शब्द शेयर किए, जिनका अंग्रेजी में अनुवाद होने पर मतलब और असर दोनों खत्म हो जाता है। खास बात यह है कि इस पेज पर लोग नए-नए शब्दों को खोज भी रहे हैं, ताकि क्षेत्र विशेष की भाषा के बारे में जानकारी हासिल कर सकें।

कल्चर, इमोशन और पहचान का जरिया

डुओलिंगो के रीजनल डायरेक्टर करणदीप सिंह कपानी ने कहा कि हम समझते हैं कि भाषाएं मात्र संवाद का जरिया नहीं है। ये कल्चर, इमोशन और पहचान का भी जरिया हैं। हमारा अभियान ऐसे शब्दों को बढ़ावा देना है, जिनका अनुवाद मुश्किल है। इस पहल के जरिए हम लोगों को भावनाएं जताने, जीवन समृद्ध बनाने और वैश्विक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाते हैं।