सचिन कहते हैं, 'मुझे कॉलेज के दिनों में फैसला करना था कि आगे क्या करूं। मेरे सामने एक यही विकल्प था जिससे मैं खुद को जोड़ सकता था। मेरे आचरण के मुताबिक मैं किसी और काम के बारे में सोच भी नहीं सकता था। मैं शारीरिक रूप से मौजूद होकर देश के लिए योगदान देना चाहता था। माता-पिता को बताए बिना मैंने सेना का आवेदन कर दिया। जब साक्षात्कार का बुलावा आया, तब उन्हें बताया। हालांकि उन्होंंने मुझे पूरा समर्थन किया।'