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टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट का भारत पर भी पड़ सकता है प्रभाव! जानिए सबसे पहले कहां दिखा असर

टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट से वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। स्मिथसोनियन ग्लोबल वॉल्कैनिज्म प्रोग्राम की ज्वालामुखी एक्सपर्ट जैनिन क्रिपनर के मुताबिक जब ज्वालामुखी का वेंट यानी धरती से अंदर से जुड़ी हुई नली पानी के अंदर होती है तो उसके बारे में समझ पाना मुश्किल होता है। वहीं इस विस्फोट का भारत में भी असर देखने को मिला

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Dheeraj Sharma

Jan 20, 2022

Tonga Volcano Eruption what can have an effect on India too

Tonga Volcano Eruption what can have an effect on India too

न्यूजीलैंड के पास दक्षिणी प्रशांत महासागर में इतना भयानक ज्वालामुखी विस्फोट हुआ कि धरती के चारों ओर हवा के दबाव की एक लहर यानी Shock wave दो बार दौड़ गई। ये शॉकवेव उत्तरी अफ्रीका में जाकर खत्म हुई और फिर वहां से वापस उठी तो ज्वालामुखी तक आ गई। इस ज्वालामुखी का नाम है टोंगा। इसके धमाके की आवाज 2300 किलोमीटर दूर तक साफ तौर पर सुनाई दी। भारत में इसकी दूरी मापे तो दिल्ली से लेकर चेन्नई तक इसकी आवाज सुनाई दी। इस शॉकवेव के चलते 4 फीट ऊंची लहरों की सुनामी भी आई, जिससे काफी नुकसान हुआ है। वहीं भारत में भी इस टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट का असर देखने को मिला।

टोंगा से छोटे बाहरी द्वीपों में सुनामी और समुंद्र में ज्वालामुखी फटने से काफी नुकसान हुआ है। ज्वालामुखी विस्फोट के बाद 22 किलोमीटर ऊपर तक राख और धुएं का गुबार उठा। विस्फोट के बाद मशरूम जैसी आकृति बनी। समुद्र के अंदर एक बड़ा गड्ढा बन गया, जिससे सुनामी को ताकत मिली। विस्फोट और उसकी लहर अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट्स ने भी कैद की।

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वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंता

इस जोरदार ज्वालामुखी विस्फोट से वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है। स्मिथसोनियन ग्लोबल वॉल्कैनिज्म प्रोग्राम की ज्वालामुखी एक्सपर्ट जैनिन क्रिपनर के मुताबिक जब ज्वालामुखी का वेंट यानी धरती से अंदर से जुड़ी हुई नली पानी के अंदर होती है तो उसके बारे में समझ पाना मुश्किल होता है।

वैज्ञानिकों का कहना है इस वजह से फिलहाल उनके पास जानकारी का अभाव है। यही वजह है कि वे ज्यादा भविष्यवाणी नहीं कर सकते। ये बात चिंता बढ़ाने वाली है, क्योंकि वैज्ञानिक जब तक आगे क्या होने वाला इसकी जानकारी हासिल नहीं कर लेते, तब तक इससे निपटने का तरीका भी निकालना मुश्किल है।
वैज्ञानिकों की मानें तो शॉक वेव सिर्फ जमीन या समुद्र में नहीं थी। इसका असर वायुमंडल में भी था। यह शॉक वेव आवाज की गति से पूरी धरती पर फैली थी।

इस वजह से हुआ विस्फोट

वैज्ञानिकों की मानें तो Tonga Volcano इससे पहले साल 2014 में फटा था। लेकिन बीते 30 से ज्यादा दिनों से यह गड़गड़ा रहा था। धरती के केंद्र से मैग्मा धीरे-धीरे ऊपर आ रहा था। मैग्मा का तापमान करीब 1000 डिग्री सेल्सियस था। जैसे ही ये ज्वालामुखी 20 डिग्री सेल्सियस वाले समुद्री पानी से मिला, ज्वालामुखी में तेज विस्फोट हुआ।

भारत में दिखा असर

भारत में टोंगा ज्वालामुखी का हल्का ही सही असर दिखाई दिया। आईआईटी मद्रास के पीएचजी स्कॉलर एस वेंटरमन ने अपने घर में लगाए छोटे से मौसम स्टेशन में काम करने के दौरान बैरौमीटर में उतार चढ़ाव देखा। उनके मुताबिक यह बहुत अजीब सा था और उन्हें लगा कि उनके उपकरण में कोई समस्या है।

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वहीं यह प्रभाव बहुत थोड़ी देर के लिए था लेकिन अचानक था। वेंकटरमन ने तुरंत अपने सक्रिय चेन्नई के वेदर ब्लॉगिंग कम्यूनिटी में इसकी जानकारी दी और बेंगलुरू में भी संपर्क किया जहां पर भी असर देखने को मिला, जो 20 मिनट के अंतराल के बाद वहां पहुंचा।

वेंकटरामन के मुताबिक इन तरंगों को भारत में अलग मौसम केंद्रों ने भी महसूस किया था. लेकिन उनका समय दूरी के अनुसार अलग अलग था। हालांकि इस ज्वालामुखी विस्फोट के लंबी दूरी के प्रभाव आने वाले समय में अध्ययन से सामने आंएंगे।