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Shocking Fact: धरती की गति हुई धीमी, 24 घंटे से ज्यादा लंबे होने लगे हैं दिन!

धु्रवों की बर्फ पिघलने से धरती की गति धीमी हुई, लंबे होंगे दिन, जलवायु परिवर्तन के साइड इफेक्ट: भूमध्य रेखा तक आ रहा धु्रवों का पानी वाशिंगटन

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Earth's Slowing Rotation: जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव कई रूपों में देखे जा रहे हैं, लेकिन अब इससे पृथ्वी की गति पर भी असर हो रहा है। एक नए अध्ययन के मुताबिक पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी धु्रवों पर स्थित ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिसका पानी भूमध्य रेखा की ओर आ रहा है। इससे पृथ्वी का द्रव्यमान बढ़ रहा है और पृथ्वी के घूमने की गति धीमी हो रही है। पृथ्वी की गति धीमी होने से दिन की लंबाई बढ़ रही है। शोध के अनुसार दिन की लंबाई 86, 400 सेकंड से कुछ मिली सेकंड बढ़ जाती है। यह जानकारी प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित शोध पत्र में सामने आई है।

भूमध्य रेखा के पास बदल रहा धरती का आकार

अध्ययन के सह-लेखक बेनेडिक्ट सोजा का कहना है कि यह बिल्कुल वैसे है जैसे स्केटिंग करता हुआ व्यक्ति पहले अपने हाथों को अपने पास रखता है फिर धीरे धीरे उन्हें खोलता है। इसके चलते उस व्यक्ति के घूमने की गति अपने आप धीरे होने लगती है, क्योंकि द्रव्यमान घूमने के केंद्र से दूर जाने लगता है। उन्होंने कहा कि संतरे के आकार की पृथ्वी का भूमध्य रेखा के पास थोड़ा हिस्सा उभरा हुआ है और इसका आकार ज्वार, ज्वालामुखी और भूकंप के कारण लगातार बदल रहा है।

ऐसे पता लगाया दिन की लंबाई

इस शोध पत्र के मुताबिक वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि अंतरिक्ष से रेडियो सिग्नल को पृथ्वी के अलग-अलग बिंदुओं तक पहुंचने में कितना समय लगता है। इस अंतर से पृथ्वी के झुकाव और दिन की लंबाई में बदलाव की जानकारी निकलकर सामने आई। पृथ्वी के घूमने की गति को सटीक ढंग से मापने के लिए वैज्ञानिकों ने ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का सहारा लिया। जीपीएस पृथ्वी के घूमने की गति को लगभग एक मिली सेकेंड के सौवें हिस्से तक माप सकता है। अध्ययन में हजारों साल पुराने सूर्यग्रहण के आंकड़ों को भी शामिल किया गया था।

चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण भी जिम्मेदार

पृथ्वी के घूमने में धीमी गति का एक मुख्य कारण चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव भी है। गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी पर मौजूद समुद्रों के पानी को खींचता है, जिससे ज्वार-भाटा पैदा होता है। इस प्रक्रिया को ज्वारीय घर्षण कहते हैं। यह ज्वार-भाटा पृथ्वी के घूमने में रगड़ पैदा करता है, जिससे उसके घूमने की गति धीमी हो जाती है। इसके कारण लाखों वर्षों में पृथ्वी की गति धीरे-धीरे 2.40 मिली सेकंड प्रति शताब्दी कम हुई है।

2100 तक 2.2 मिली सेकंड लंबे होंगे दिन

अध्ययन के सह-लेखक सुरेंद्र अधिकारी ने कहा कि अध्ययन में चौंकाने वाले खुलासे हुए है, जिसके अनुसार अगर इसी रफ्तार से हम ग्रीनहाउस गैस छोड़ते रहे तो 21वीं सदी के अंत तक धरती इतनी गर्म हो जाएगी कि उसका असर चांद के खिंचाव से भी ज्यादा पड़ेगा। उन्होंने कहा, वर्ष 1900 से अब तक जलवायु परिवर्तन के कारण दिन 0.8 मिली सेकेंड लंबे हो चुके हैं और अगर इसी तरह से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन बढ़ता रहा तो साल 2100 तक सिर्फ जलवायु परिवर्तन के कारण दिन 2.2 मिली सेकंड लंबे होने लगेंगे।