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महाराष्ट्रः सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी के 12 विधायकों का निलंबन असंवैधानिक बताते हुए रद्द किया

महाराष्ट्र से भारतीय जनता पार्टी के लिए अच्छी खबर सामने आई है। यहां सुप्रीम कोर्ट ने 12 बीजेपी विधायकों को निलंबन को रद्द कर दिया है। शुक्रवार को शीर्ष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया।

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'Unconstitutional': Supreme Court cancels suspension of 12 Maharashtra BJP MLAs

'Unconstitutional': Supreme Court cancels suspension of 12 Maharashtra BJP MLAs

महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित भारतीय जनता पार्टी के 12 विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। देश की सर्वोच्च अदालत ने इन बीजेपी विधायकों के अनिश्चितकालीन निलंबन को असंवैधानिक और मनमाना बताते हुए रद्द कर दिया है। शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह का निलंबन पूरी तरह असंवैधानिक है। दरअसल बीते हफ्ते ही सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था। निलंबित विधायकों में से एक विधायक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील दी थी कि लंबे समय तक निलंबित रखना, निष्कासन से भी बदतर है क्योंकि इससे निर्वाचकों के अधिकार प्रभावित होते हैं। बहरहाल इस फैसले के बाद बीजेपी खेमे में खुशी की लहर है।


दरअसल, पिछले वर्ष जुलाई के महीने में महाराष्ट्र विधानसभा में हंगामा करने के आरोप में 12 BJP विधायक एक वर्ष के लिए निलंबित कर दिया गए थे। ये सभी विधायक ओबीसी आरक्षण के समर्थन में हंगामा कर रहे थे। वहीं बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां विधायकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि एक साल के निलंबन का फैसला पूरी तरह से तर्कहीन है।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले के दौरान इस बात पर जोर दिया कि निलंबन सिर्फ एक सत्र के लिए किया जा सकता है। अनिश्चितकालीन निलंबन असंवैधानिक है। शीर्ष अदालत ने ये भी कहा कि विधायकों का निलंबन सिर्फ उसी सत्र में हो सकता है, जिसमें हंगामा हुआ हो।


इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान भी तल्ख टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने कहा था कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा ही नहीं बल्कि तर्कहीन भी है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित करने का कोई मकसद होना चाहिए और सदस्यों को अगले सत्र तक में शामिल होने की अनुमति नहीं देने का 'जबरदस्त' कारण होना चाहिए।


बीजेपी के 12 विधायकों ने एक साल के लिए निलंबित करने वाले विधानसभा में पारित प्रस्ताव को चुनौती दी थी। दरअसल उन्हें पिछले वर्ष 2021 में पांच जुलाई को विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। राज्य सरकार ने उन पर विधानसभा के अध्यक्ष के कक्ष में पीठासीन अधिकारी भास्कर जाधव के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया था।

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बीजेपी के जिन 12 विधायकों का निलंबन किया गया था, उनमें संजय कुटे, आशीष शेलार, योगेश सागर, गिरीज महाजन, राम सतपुते, जय कुमार रावत, पराग अलवानी, हरीश पिंपले, अतुल भातरखलकर, अभिमन्यु पवार, बंटी बांगडीया और नारायण कुचे शामिल थे। इन विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव राज्य के संसदीय कार्य मंत्री अनिल परब ने पेश किया था और इसे ध्वनि मत से पारित किया गया था।