Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Video: सेक्स वर्कर्स ने एक दूसरे को लगाया गुलाल, जानें रेड लाइट एरिया में कैसे मनाई जाती है होली

Red Light Area Holi: कोलकाता के सोनागाची इलाके में होली का उत्सव एक जीवंत और अनूठे अंदाज में मनाया गया, जहां सेक्स वर्कर्स ने इस रंगों के त्योहार को अपनी एकता और खुशी के प्रतीक के रूप में अपनाया। संकरी गलियों में चारों ओर रंगों की फुहारें छाई थीं—हवा में गुलाल और अबीर के बादल […]

2 min read
Google source verification

भारत

image

Anish Shekhar

Mar 13, 2025

Red Light Area Holi: कोलकाता के सोनागाची इलाके में होली का उत्सव एक जीवंत और अनूठे अंदाज में मनाया गया, जहां सेक्स वर्कर्स ने इस रंगों के त्योहार को अपनी एकता और खुशी के प्रतीक के रूप में अपनाया। संकरी गलियों में चारों ओर रंगों की फुहारें छाई थीं—हवा में गुलाल और अबीर के बादल उड़ रहे थे, और हंसी-मजाक की आवाजें हर ओर गूंज रही थीं। महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में सजी थीं—कुछ ने लाल, कुछ ने पीली, तो कुछ ने हरी साड़ियां पहनी थीं, जो उनके चेहरों पर लगे गुलाबी, नीले और सुनहरे रंगों के साथ और भी चमक रही थीं। वे एक-दूसरे के चेहरों पर रंग मलतीं, हाथों में गुलाल लेकर छींटाकशी करतीं और गले मिलकर खुशियां बांटतीं। कुछ ने ढोलक की थाप पर नृत्य किया, उनके कदमों के साथ रंगीन धूल हवा में लहराती रही। सोनागाची की पुरानी हवेलियों की बालकनियों से लोग इस उत्सव को निहारते, जबकि गलियों में बच्चे और अन्य लोग भी इस उमंग में शामिल हो गए।

जी.बी. रोड में रंगों से दूर रहती हैं सेक्स वर्कर्स

भारत के अलग-अलग हिस्सों में सेक्स वर्कर्स होली को अपने तरीके से मनाते हैं, जो उनकी स्थानीय परिस्थितियों और सामाजिक बंधनों को दर्शाता है। दिल्ली के जी.बी. रोड जैसे रेड-लाइट क्षेत्रों में, होली का उत्सव अक्सर फीका रहता है। यहां कई सेक्स वर्कर्स त्योहार के दौरान रंगों से दूर रहती हैं, क्योंकि नशे में धुत लोग उन्हें परेशान करने आते हैं। कई कोई शाम तक बंद रहते हैं, और महिलाएं आपस में प्रार्थना करती हैं या मिठाइयां बांटकर सादगी से त्योहार मनाती हैं। एक सेक्स वर्कर, रेशमा (बदला हुआ नाम), ने बताया कि बचपन में होली उसका पसंदीदा त्योहार था, लेकिन अब वह खिड़की से दूसरों को खेलते देखकर ही संतोष करती है।

कमाठीपुरा में उत्साह के साथ मनाया जाती है होली

मुंबई में, कमाठीपुरा जैसे इलाकों में, कुछ सेक्स वर्कर्स होली को रंगों और उत्साह के साथ मनाती हैं। वे अपने समुदाय के भीतर एक-दूसरे पर रंग डालती हैं, नाचती हैं और इस दिन को अपनी रोजमर्रा की मुश्किलों से राहत के रूप में देखती हैं। 2008 में, वहां की सेक्स वर्कर्स ने अपने क्षेत्र में होली मनाई थी, जिसमें रंगों के साथ-साथ मिठाइयां और छोटे समारोह शामिल थे। हालांकि, यह उत्सव अक्सर बाहर की दुनिया से अलग-थलग रहता है, क्योंकि सामाजिक कलंक उन्हें मुख्यधारा के उत्सवों में शामिल होने से रोकता है।

पश्चिम बंगाल के सोनागाची में, जैसा कि पहले वर्णित है, होली एक सामुदायिक उत्सव बन जाता है, जिसे दुर्बार महिला समन्वय समिति जैसे संगठन आयोजित करते हैं। 2022 में, दो साल के कोविड अंतराल के बाद, उन्होंने फिर से रंगों और नृत्य के साथ होली मनाई थी, जो उनके लिए खुशी और सामाजिक मेलजोल का अवसर था।

दक्षिण भारत में कम होता है उत्साह

दक्षिण भारत में, जैसे कि बेंगलुरु या चेन्नई के कुछ हिस्सों में, सेक्स वर्कर्स के बीच होली का उत्सव कम देखने को मिलता है, क्योंकि यह त्योहार वहां उतना प्रमुख नहीं है। हालांकि, जहां मनाया जाता है, वहां यह छोटे पैमाने पर, अपने समुदाय के भीतर ही होता है, जिसमें रंगों की जगह प्रार्थना और मिठाइयों पर ज्यादा जोर रहता है।

कुल मिलाकर, भारत में सेक्स वर्कर्स द्वारा होली का उत्सव उनकी जिंदगी की कठिनाइयों और सामाजिक बहिष्कार के बावजूद, अपने समुदाय के भीतर खुशी और एकजुटता खोजने का प्रयास दर्शाता है। हर क्षेत्र में यह अलग-अलग रूप लेता है—कहीं रंगों की धूम, तो कहीं सादगी भरी रस्में—लेकिन यह उनके लिए एक पल होता है, जब वे अपनी पहचान को थोड़ा भुलाकर उत्सव में डूब जाते हैं।