
अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहने वाले कांग्रेस के सीनीयर नेता मणिशंकर अय्यर ने एक बार फिर पाकिस्तान की तारीफ में कसीदे पढ़ा हैं। पिछले दिनों लाहौर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि भारत के पास सर्जिकल स्ट्राइक की हिम्मत है, लेकिन बातचीत की नहीं। इतना ही नहीं उन्होंने पाकिस्तान को 'भारत के लिए सबसे बड़ी ऐसेट' बताया है। साथ ही कहा कि उनका पाकिस्तान जैसा स्वागत किसी और देश ने नहीं किया।
पाकिस्तान से बात न करना मोदी की सबसे बड़ी गलती
पाकिस्तानी के फेमस अखबार डॉन में छपि एक रिपोर्ट के मुताबिकृ, अय्यर ने पाकिस्तान से बातचीत नहीं करने को पीएम मोदी की नीती को मोदी सरकार की 'सबसे बड़ी गलती' बताया है। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस और भाजपा सरकार में इस्लामाबाद में पांच भारतीय उच्चायुक्त रहे और सभी पांचों का मानना था कि मतभेद जो भी रहे, लेकिन हमें पाकिस्तान से बातचीत करनी चाहिए। बीते 10 सालों में जो सबसे बड़ी गलती हमने की है, वो बातचीत से इनकार करना है।
हमारे पास सर्जिकल स्ट्राइक की हिम्मत लेकिन बातचीत की नहीं
अपनी बात को आगे रखते हुए उन्होंने कहा कि हमारे पास आपके खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक्स करने की ताकत है, लेकिन हमारे पास बैठकर बात करने का साहस नहीं है।' हालांकि, यह पहली बार नहीं है, जब बातचीत के मुद्दे पर अय्यर ने पीएम मोदी पर सवाल उठाए हों। बीते साल अगस्त में उन्होंने कहा था, 'पीएम मोदी से पहले हर प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के साथ कुछ बात करने की कोशिश की, लेकिन अब यह एकदम बंद है।'
'किसी और देश ने नहीं किया पाकिस्तान जैसा स्वागत'
अय्यर ने कहा है कि उनका जितना खुले दिल से पाकिस्तान में स्वागत हुआ, उतना किसी और देश में नहीं हुआ। जब वह कराची में महावाणिज्य दूत के रूप में तैनात थे, तो हर कोई उनकी और उनकी पत्नी की देखभाल किया करता था। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी पुस्तक 'मेमोयर्स ऑफ ए मेवरिक' में ऐसी कई घटनाओं के बारे में लिखा है, जो पाकिस्तान को भारतीयों की कल्पना से बिल्कुल अलग देश के रूप में दिखाती हैं।
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सद्भावना के बजाय विपरीत स्थिति पैदा हुई
लाहौर के अलहमरा में फैज महोत्सव के दूसरे दिन 'हिज्र की राख, विसाल के फूल, भारत-पाक मामले' शीर्षक वाले सत्र के दौरान यह टिप्पणी की। इस दौरान अय्यर ने कहा कि दोनों देशों के बीच सद्भावना की आवश्यकता थी लेकिन 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पहली बार सरकार के गठन के बाद से पिछले 10 साल में सद्भावना के बजाय विपरीत स्थिति पैदा हुई है।
Published on:
13 Feb 2024 10:46 am
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