
WFI Controversy: भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने प्रदर्शनकारी पहलवानों द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर रविवार को कहा कि अगर उनके खिलाफ एक भी आरोप साबित होता है तो वे फांसी लगा लेंगे। बीते दो हफ्तों से भारतीय पहलवान WFI के चीफ बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न को लेकर दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच अब बृजभूषण ने एक वीडियो जारी किया है। जिसमें उनका कहना है की अगर उनके खिलाफ एक भी आरोप साबित होता है तो वह फांसी लगाने में नहीं हिचकेंगे ।
गरीब बच्चों की लड़ाई लड़ रहा हूं
विडियो रिलीज करने की बात पर बृजभूषण सिंह ने कहा कि उनकी बात भी लोगों तक पहुंचनी चाहिए यही कारण है कि वह यह वीडियो बना रहे हैं। अपना पक्ष लोगों के बीच रखने के लिए उन्होंने ऐसा उपाय किया। बृजभूषण ने कहा कि 'ये जो मेरे ही बच्चे मेरे उपर आरोप लगा रहे हैं, ये खिलाड़ी दिन भी नहीं बता पा रहे हैं कि कौन सा दिन था और कौन सी तारीख थी।
जो लड़ाई मैं लड़ रहा हूं वो अपने ही जूनियर बच्चों के लिए लड़ रहा हूं। इन पहलवानों को सब मिल चुका है, इन्होनें सारी ख्याति प्राप्त कर ली है। लेकिन जो गरीब परिवार के बच्चे हैं, जिन्हें किसी प्रकार कोई सुविधा नहीं है, जो आर्थिक रूप से अक्षम हैं, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि ये लड़ाई आपके लिए है।
संयुक्त किसान मोर्चा का पहलवानों को समर्थन
संयुक्त किसान मोर्चा ने भी शनिवार को घोषणा की कि वह भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के समर्थन में देशभर में प्रदर्शन करेगा। संगठन ने बृजभूषण शरण सिंह को तत्काल गिरफ्तार करने की भी मांग की। उसने एक बयान में कहा कि सात मई रविवार को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिम उत्तर प्रदेश से एसकेएम के कई वरिष्ठ नेता सैकड़ों किसानों के साथ जंतर मंतर पर एक बार फिर प्रदर्शन स्थल का दौरा करेंगे और प्रदर्शनरत पहलवानों को अपना समर्थन देंगे।
अब पहलवानों को इंसाफ की लड़ाई में उन्हें कई संगठनों का समर्थन मिल रहा है, पहले कुछ दिनों तक तो इन्हें अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ी थी, लेकिन पहलवानों ने अपना धैर्य बनाये रखा और अड़े रहे। लेकिन अब आम लोगों का समर्थन भी इन्हें मिलना शुरू हो गया है।
लेकिन दूसरी तरफ जिस तरह का दावा WFI अध्यक्ष कर रहे हैं जिसमें उनका कहना है- अगर इन पहलवानों का एक भी आरोप साबित होता है तो वो खुद फांसी लगा लेंगे । तो सवाल यह भी उठने लगे हैं की सिर्फ पहलवानों का पक्ष हीं क्यों सुना और उस पर विश्वास किया जा रहा है। दुसरे पक्ष को भी सुने जाने और उस की सच्चाई क्या है इसे पता लगाने की आवश्यकता है। वरना एक पक्ष को सुन कर अगर कोई निर्णय लिया जाता है तो शायद यह भी हो सकता है की सच्चाई का पता ही न चल पाए ।
Published on:
07 May 2023 02:31 pm
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