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जनगणना में कहां से आया ‘आत्मगणना’ का नाम, जानें क्या है मामला

देश में पहली जनगणना 1881 में हुई थी, उस समय देश की आबादी 25 करोड़ निकली थी।

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भारत

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Ashish Deep

Jun 04, 2025

1 मार्च 2027 से शुरू होगी जनगणना (Photo-patrika)

देश की 16वीं जनगणना डिजिटल होगी यानी कॉपी-पेन के बिना। पहले जनगणना अधिकारी घर-घर जाते थे और फॉर्म भरते थे। ये फॉर्म डेटा प्रोसेसिंग सेंटर भेजे जाते थे और इनका विश्लेषण होता था। इस बार डोर टू डोर जाने वाले जनगणना वर्करों के हाथ में टैबलेट और स्मार्टफोन होगा।

क्या होती है जनगणना

जनगणना में जनसंख्या की जानकारी ली जाती है। इसमें मृत्यु दर, जन्म दर, भाषाएं आदि की सूचना होती है। इसमें स्थान, संस्कृति और आर्थिक डेटा हर 10 साल बाद लिया जाता है।

कैसे भरेंगे डेटा

वर्कर घर-घर जाएंगे और स्मार्टफोन व टैबलेट के जरिए सीधे पोर्टल पर जानकारी दर्ज करेंगे। नागरिक के खुद भी जानकारी भरने का प्रावधान है। डेटा इकट्ठा करने के लिए मोबाइल ऐप बनाया गया है और पोर्टल के जरिए जनगणना से जुड़े कामकाज की देखरेख होगी।

डिजिटल में विश्लेषण आसान होगा

एक्सपर्ट बताते हैं कि डिजिटल टूल आने से जनगणना का काम जल्दी निपट जाएगा और अगर सारा डेटा डिजिटल में आ गया तो विश्लेषण करना आसान होगा। मसलन कितनी तरह की जातियां, उनकी जनसंख्या, सवर्ण-अल्पसंख्यक आदि तरह के आंकड़ों का विश्लेषण करने में आसानी होगी।

क्या करना होगा नागरिकों को

जनता को आत्मगणना का ऑप्शन है। रिस्पॉन्डेंट को जनगणना से जुड़े सवाल का खुद ही जवाब देना होगा। एक बार पोर्टल खुला, कोई भी उसमें अपने मोबाइल नंबर के जरिए Login कर अपनी और परिवार की जानकारी भर सकता है। पोर्टल पर एक फॉर्म खुलेगा, उसके साथ कोड दिए होंगे जिसे फॉर्म में पूछे गए सवाल के आगे भरना होगा।

आत्मगणना पूरी होने के बाद मिलेगी ID

एक बार आत्मगणना पूरी होने के बाद एक Identification Number उस व्यक्ति के मोबाइल नंबर पर आ जाएगा। जब आत्मणना करने वाला अपने घर की जानकारी भरेगा तो ID नंबर उससे शेयर कर दी जाएगी, जिससे पहले भरा गया डेटा अपने आप लिंक हो जाएगा। इस तरीके से 16वीं जनगणना डिजिटल होगी।