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Encounter: पुलिस कब करती है एनकाउंटर? जान लें सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस

Encounter: आज हम आपको बताएंगे कि एनकाउंटर को लेकर पुलिस के लिए क्या नियम-कायदे हैं. आखिर वो कौन सी स्थिति होती है, जब पुलिस के सामने गोली चलाने की नौबत आ जाती है।

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Encounter Rules: मुठभेड़ जिसे आम भाषा में एनकाउंटर कहा जाता है। यह शब्द 20वीं सदी के बाद से भारत-पाकिस्तान में ज्यादा प्रचलित हुआ था। उस समय में पुलिस और सुरक्षाकर्मी आतंकियों और गैंगस्टर्स से खुद को बचाने के लिए मारा करते थे। कहा जाता था की पुलिस इसका इस्तेमाल फेक एनकाउंटर्स के लिए करती है। भारत में अभी तक कोई ऐसा कानून लागू नहीं हुआ है जिसमें पुलिस को किसी अपराधी का एनकाउंटर करने का अधिकार दिया गया हो। लेकिन कुछ स्थितियां हैं, जिनमें पुलिसवालों को अपराधियों से निपटने के लिए खुली छूट मिली हुई होती है।

कई बार ऐसा होता है की आरोपी पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश करता है तो सेल्फ डिफेंस में पुलिस गोली चला सकती है। सीधा गोली चलाने से पहले पुलिसवाले को उसे वॉर्निंग देकर रोकने की कोशिश करनी होगी अगर फिर भी आरोपी नहीं रुकता है तब पुलिस फायरिंग कर सकती है।

कितने तरह के होते है एनकाउंटर?

हमारे देश में आमतौर पर दो तरह के एनकाउंटर होते हैं। पहला, जिसमें कोई खतरनाक अपराधी पुलिस या सुरक्षाबलों की कस्टडी से भागने की कोशिश करता है तो ऐसे में पुलिस को उसे रोकने या पकड़ने के लिए फायरिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
दूसरा एनकाउंटर वो होता है जिसमे पुलिस किसी अपराधी को पकड़ने जाती है। वो बचने के लिए भागता है। पुलिस जवाबी कार्रवाई करती है। किसी अपराधी द्वारा पुलिस पर हमला करने पर भी पुलिस एनकाउंटर करती है।

सुप्रीम कोर्ट (SC) की गाइडलाइन्स

1. जब पुलिस को गंभीर अपराध करने वाले शख्स के बारे में कोई खुफिया जानकारी या टिप मिलती है तो उसे किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप या केस डायरी में दर्ज करना होगा।

2. अगर कोई सीक्रेट इन्फॉर्मेशन मिलने के बाद एनकाउंटर होता है और उसमें बदमाश मर जाता है तो एफआईआर दर्ज करनी होगी। फिर निश्चित धाराओं में अदालत में भेजना होगा।

3. एनकाउंटर की स्वतंत्र जांच पुलिस टीम के वरिष्ठ अधिकारी (एनकाउंटर में शामिल पुलिस टीम के चीफ से एक लेवल ऊपर) या सीआईडी की देखरेख में की जाएगी।

4. पुलिस एनकाउंटर में जिन बदमाशों की मौत होगी, उनकी संबंधित धाराओं के तहत मजिस्ट्रियल जांच होगी. इनकी रिपोर्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट को भी भेजनी होगी।

5. इसके अलावा एनकाउंटर की जानकारी बिना देरी किए राज्य मानवाधिकार आयोग या NHRC को देनी होगी।

6. अगर एनकाउंटर में कोई अपराधी घायल हो जाता है तो उसको तुरंत इलाज देना होगा. साथ ही मेडिकल अफसर या मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान दर्ज होना चाहिए. साथ ही फिटनेस सर्टिफिकेट भी देना होगा।

7. जब घटना की जांच पूरी हो जाए, तो उसकी रिपोर्ट कोर्ट को भेजनी होगी. एनकाउंटर के बाद अपराधी या पीड़ित के किसी करीबी रिश्तेदार को उसकी सूचना देनी होगी।

केंद्र शासित प्रदेशों के लिए NHRC की गाइडलाइन

NHRC ने केंद्र शासित प्रदेशों में एनकाउंटर किए जाने के लिए अलग गाइडलाइन तैयार की है। इसके तहत अगर किसी थाने के प्रभारी को एनकाउंटर में मौतों के बारे में जानकारी मिलती है तो उसे रजिस्टर में दर्ज करना होगा। वहीं अगर किसी थाने के प्रभारी को एनकाउंटर में मौतों के बारे में जानकारी मिलती है तो उसे रजिस्टर में दर्ज करना होगा। जो जानकारी मिली है, उसे सस्पेक्ट करने के लिए काफी माना जाना चाहिए और इसके अलावा परिस्थिति की जांच के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे ताकि यह पता चल सके कि कोई क्राइम हुआ है तो किसने किया है। साथ ही अगर एनकाउंटर करने वाले एक ही थाने के पुलिसवाले हों तो जांच कोई दूसरी एजेंसी जैसे सीआईडी को करनी चाहिए।

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