What is NPR and Census: राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) और जनगणना (Census) भारत में जनसंख्या से संबंधित दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं हैं, जिनके उद्देश्य, प्रक्रिया और प्रभाव अलग-अलग हैं। हाल के वर्षों में, विशेष रूप से कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शासनकाल में इन दोनों प्रक्रियाओं को लेकर विभिन्न दृष्टिकोण और नीतियां सामने आई हैं। आइए जानते हैं कि कैसे ये दोनों एक-दूसरे से अलग हैं।
जनगणना भारत में प्रत्येक दस साल में आयोजित होने वाली एक व्यापक प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य देश की जनसंख्या, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शिक्षा, आवास, और अन्य जनसांख्यिकीय जानकारी एकत्र करना है। यह भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त (Office of the Registrar General & Census Commissioner) के तहत आयोजित की जाती है।
जनगणना का मुख्य उद्देश्य देश की कुल जनसंख्या, शिक्षा, रोजगार, आवास, और अन्य सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के बारे में व्यापक डेटा एकत्र करना है। यह सरकार को नीतियाँ बनाने और योजनाओं को लागू करने में मदद करता है।
पहला चरण: हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग सेंसस (आवास और मकान संबंधी जानकारी)।
दूसरा चरण: जनसंख्या गणना, जिसमें व्यक्तियों की जनसांख्यिकीय जानकारी (उम्र, लिंग, शिक्षा, रोजगार आदि) एकत्र की जाती है।
जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित की जाती है, और यह जानकारी न्यायालयों के लिए भी सुलभ नहीं होती। बीजेपी सरकार ने 2025 की जनगणना में जातिगत जनगणना को शामिल करने का फैसला किया है, जिसे वह सामाजिक समीकरणों को साधने और ओबीसी, एससी, और अन्य पिछड़े वर्गों के वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति के रूप में देख रही है। यह कदम 2024 के लोकसभा चुनावों में वोट बैंक के बिखराव के बाद उठाया गया है।
NPR एक रजिस्टर है, जिसमें भारत में निवास करने वाले प्रत्येक "निवासी" (resident) का विवरण दर्ज किया जाता है। इसे नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2003 के तहत शुरू किया गया था और इसका संचालन भी गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
NPR का मुख्य लक्ष्य देश में रहने वाले सभी निवासियों का एक व्यापक डेटाबेस तैयार करना है, जिसमें उनकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, पता, जन्म तिथि, और माता-पिता के जन्म स्थान जैसी जानकारी शामिल होती है। इसका उपयोग नागरिकता रजिस्टर (NRC) के लिए आधार तैयार करने में भी किया जा सकता है।
> NPR के तहत घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया जाता है, जिसमें निवासियों से 21 सवाल पूछे जाते हैं, जैसे आधार नंबर, पासपोर्ट विवरण, और माता-पिता के जन्म स्थान।
> पहली बार NPR को 2010 में यूपीए सरकार (कांग्रेस के नेतृत्व में) द्वारा लागू किया गया था, और इसे 2020 में अपडेट करने की योजना थी, जो कोविड-19 के कारण स्थगित हो गई।
कांग्रेस ने NPR को नीति कार्यान्वयन और सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए एक उपकरण के रूप में शुरू किया था। हालांकि, बीजेपी सरकार द्वारा इसे नागरिकता सत्यापन (NRC) के साथ जोड़ने की कोशिश पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी ने NPR को नागरिकता के सवालों से जोड़कर इसके मूल उद्देश्य को बदल दिया है।
जनगणना और NPR दोनों ही महत्वपूर्ण प्रशासनिक प्रक्रियाएँ हैं, लेकिन उनके उद्देश्य और कार्यप्रणाली में स्पष्ट अंतर है। जनगणना व्यापक सामाजिक-आर्थिक डेटा एकत्र करती है, जबकि NPR व्यक्तिगत पहचान पर केंद्रित है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच इन प्रक्रियाओं को लेकर मतभेद उनकी वैचारिक और राजनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं। जहाँ कांग्रेस NPR को कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ती है, वहीं बीजेपी इसे सुरक्षा और नागरिकता सत्यापन से जोड़ने की कोशिश करती है। जातिगत जनगणना का फैसला दोनों दलों के लिए एक नया राजनीतिक युद्धक्षेत्र बन गया है, जिसका असर आने वाले चुनावों में देखने को मिल सकता है।
Published on:
18 Jun 2025 11:19 am