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लालू यादव की पार्टी से बेटा विधायक, फिर भी RJD से पंगा लेने में कोई कसर नहीं छोड़ते बाहुबली आनंद मोहन

Who is Bahubali Anand Mohan: RJD सांसद मनोज झा पर तीखी प्रतिक्रिया देने के बाद बाहुबली आनंद मोहन एक बार फिर चर्चा में हैं। आनंद मोहन क्या इस विवाद के जरिए बिहार की राजनीति में कमबैक करने जा रहे हैं? उन्होंने ठाकुर विवाद पर ऐसा क्या कहा जिसके बाद...

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Who is Bahubali Anand Mohan: बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव कई बार मंचो से अपनी पार्टी को ए टू जेड वाली पार्टी बता चुके हैं। इस टर्म की जरूरत उन्हें इसलिए पड़ी क्योंकि उनकी पार्टी पर MY (मुस्लिम-यादव) की राजनीति करने का आरोप लंबे समय से लग रहा था। अब बिहार की राजनीतिक गलियारे में ठाकुर बनाम ब्राह्मण का विवाद गरमाया हुआ है। विशेष सत्र के दौरान जब महिला आरक्षण बिल पर राज्यसभा में चर्चा हो रही थी तब आरजेडी एमपी मनोज झा ने 'ठाकुर का कुआं' कविता की पाठ की। इस कारण पूरा आनंद परिवार गुस्से में है।


ठाकुर का कुआं कविता से आनंद परिवार नाराज

बाहुबली आनंद मोहन, उनके पुत्र चेतन आनंद जो लालू यादव की पार्टी से विधायक है और बेटी सुरभि आनंद ने मनोज झा को जमकर सुनाया है। लेकिन अब मनोज झा के समर्थन में पार्टी आ गई है और इस कविता को किसी भी जाति से ना जोड़ने की नसीहत दे दी है। साथ में इस कविता का विरोध करने पर पार्टी के नेताओं ने आनंद मोहन परिवार को भी सीधे तौर पर एहसान भी गिना दिए हैं।

इसका सीधा मतलब यह हुआ कि अब आनंद मोहन और लालू परिवार आमने-सामने हैं। ऐसे में बिहार की राजनीति में बाहुबली आनंद मोहन फिर चर्चा के केंद्र में हैं। ऐसे में जानते हैं कि बिहार में आनंद मोहन फैमिली की सियासी हैसियत क्या है जो उन्होंने सीधा लालू यादव की पार्टी से पंगा ले लिया है।

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90 के दशक में उभरे

बिहार में 90 के दशक में चोरी, डकैती, लूटपाट, अपहरण, रेप ये सब काफी आम हो गया था। हर गांव, हर पंचायत, हर जिले से एक बाहुबली निकल रहा था। यह उसी समय की बात है जब 1994 में मुजफ्फरपुर में एक बाहुबली की हत्या हो गई थी, तो अपने समर्थकों के साथ वहां आनंद मोहन ने काफी भीड़ इकट्ठा कर ली और तत्कालीन सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे।

ठीक उसी वक्त गोपालगंज के जिलाधिकारी जी कृष्णैया, मुजफ्फरपुर जिले के भगवानपुर से गुजर रहे थे। उनके कार पर लाल बत्ती लगी थी। लाल बत्ती को देख भीड़ उग्र हो गई और उनके कार पर टूट पड़ी। इस भीड़ ने उस डीएम की जान ले ली। भीड़ को उकसाने का आरोप आनंद मोहन पर लगा।

इसी हत्या में दोषी पाए जाने पर आनंद मोहन को पहले डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से फांसी की सजा मिली। फिर HC ने इसे उम्रकैद में बदल दिया। इनको जेल से निकालने के लिए बिहार सरकार ने जेल नियमावली तक को बदलवा दिया। इसी से इनके रसूख का पता चलता है।

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बेटे चेतन आनंद ने मनोज झा के विरोध में क्या लिखा

हम "ठाकुर" हैं साहब!!
सबको साथ लेकर चलते हैं !
इतिहास में सबसे अधिक बलिदान हमारा है!
समाजवाद में किसी एक जाती को टार्गेट करना समाजवाद के नाम पर दोगलापन के अलावा कुछ नही!
जब हम दूसरों के बारे में गलत नही सुन सकते तो अपने (ठाकुरों) पर अभद्र टिप्पणी बिल्कुल नही बर्दाश्त करेंगे !!
#माननीय_संसद_श्री_मनोज_झा_के_विचारों_का_पुरजोर_विरोध!


आनंद मोहन ने क्या बयान दिया

आनंद मोहन पहली बार 1996 में सांसद बने, उस दौर में यह कहा जाता था कि इनके एक भाषण से भूमिहार और राजपूतों का वोट तय हो जाता है। मनोज झा के बयान पर पूर्व सांसद ने कहा, "अगर वे मनोज झा के भाषण के दौरान राज्यसभा में होते तो उनकी जीभ खींचकर आसन की ओर उछाल देते। हम वे ऐसे शख्स हैं जो अपनी ही सरकार के खिलाफ बंदूक उठाकर लड़े हैं ताकि आपकी अस्मिता की रक्षा की जा सके।अगर मैं होता राज्यसभा में तो जीभ खींचकर आसन की ओर उछालकर फेंक देता... सभापति के पास। ये अपमान नहीं चलेगा। ये बर्दाश्त नहीं होगा। हम जिंदा कौम के लोग हैं। अगर आप इतने बड़े समाजवादी हैं तो झा क्यों लगाते हैं। जिस सरनेम की आप आलोचना करते हैं उसको तो आप छोड़कर आइए।"