
Earthquake (Source- ANI)
Why Earthquake Happens: दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर धरती हिल उठी। अचानक आए भूकंप से लोगों में दहशत फैल गई और कई लोग अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए। लेकिन सवाल यह है कि आखिर भूकंप आता क्यों है (Earthquake causes) ? और क्या इसे पहले से रोका या पहचाना (Why do earthquakes happen) जा सकता है ? भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार भूकंप धरती के अंदर होने वाली हलचलों का नतीजा होता है। इन वैज्ञानिकों के अनुसार, हमारी पृथ्वी एक ठोस गोला नहीं है, बल्कि यह अलग-अलग परतों क्रस्ट (ऊपरी सतह), मैंटल (मध्य परत) और कोर (गर्भ) से बनी हुई है। दरअसल धरती की ऊपरी परत, यानी क्रस्ट, कई हिस्सों में बंटी होती है, जिन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये प्लेट्स लगातार बहुत धीमी गति से सरकती रहती हैं। जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, घिसती हैं या एक-दूसरे के नीचे चली जाती हैं, तो अंदर तनाव (Stress) बनता है। और जब ये तनाव एकदम से बाहर निकलता है, तब धरती हिलने लगती है - और यही होता है भूकंप।
भूगर्भ विज्ञान के अनुसार जहां-जहां ये प्लेटें आपस में मिलती हैं, उन जगहों को फॉल्ट लाइन कहा जाता है। भारत में हिमालय क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी राज्य (जैसे अरुणाचल, सिक्किम) और अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह इस तरह के संवेदनशील क्षेत्र हैं। दिल्ली-एनसीआर भी भूकंप संभावित क्षेत्र में आता है।
भूकंप की ताकत को रिक्टर स्केल पर मापा जाता है। दरअसन 4 से कम तीव्रता वाला भूकंप हल्का होता है, जबकि 5 से 6 के बीच वाला झटका थोड़ा नुकसान पहुंचा सकता है और 7 या उससे ऊपर का भूकंप गंभीर तबाही ला सकता है।
भूकंप का कोई सटीक पूर्वानुमान अभी तक संभव नहीं है, लेकिन कुछ मामूली संकेत देखे गए हैं। कभी-कभी बड़े भूकंप से पहले हल्के कंपन महसूस होते हैं।
जानवरों का असामान्य व्यवहार: कुछ जानवर (जैसे कुत्ते, पक्षी) अचानक परेशान हो जाते हैं या भागने लगते हैं।
पानी के स्तर में बदलाव: कुछ इलाकों में कुओं और जलस्त्रोतों का जलस्तर ऊपर-नीचे हो सकता है।
जमीन से आवाजें: कुछ लोग ज़मीन से गूंजने जैसी आवाजें महसूस करने की बात कहते हैं।
लेकिन ध्यान रखें: ये संकेत वैज्ञानिक रूप से साबित नहीं हुए हैं और इन पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता।
भविष्यवाणी करना तो मुश्किल है, लेकिन कुछ सेकंड पहले चेतावनी (Early Warning) जरूर दी जा सकती है। कुछ देशों में आधुनिक तकनीक से भूकंप के झटकों को रिकॉर्ड कर तुरंत अलर्ट भेजा जाता है।
उदाहरण के लिए सेस्मिक सेंसर कंपन को पहचानते हैं और चेतावनी भेजते हैं।
मोबाइल अलर्ट सिस्टम जैसे ऐप, टीवी और रेडियो से संदेश मिलते हैं।
जापान, अमेरिका और मैक्सिको में ये सिस्टम काफी सफल हैं।
भारत में भी उत्तराखंड, हिमाचल जैसे राज्यों में “अर्ली वॉर्निंग सिस्टम” पर काम चल रहा है, लेकिन यह अभी सभी क्षेत्रों में उपलब्ध नहीं है।
भूकंप एक प्राकृतिक घटना है, जिसे रोका नहीं जा सकता। लेकिन समझदारी और तैयारियों से जान और माल की रक्षा की जा सकती है।
भूकंप के दौरान खुले में जाना
सरकारी ऐप्स और अलर्ट को सक्रिय रखना
ये सभी उपाय जान बचा सकते हैं।
प्रख्यात पर्यावरणविद हिमांशु ठक्कर ने संपर्क करने पर बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप में हमारी जमीन के नीचे प्लेट्स उत्तर की ओर आगे बढ़ रही हैं और उनमें टकराव होने के कारण भूकंप आता है। दरअसल जब एनर्जी ज्यादा हो जाती है तो उसे रिलीज करना होता है और ऐसे में भूकंप आने के हालात पैदा होते हैं।
Updated on:
10 Jul 2025 02:37 pm
Published on:
10 Jul 2025 02:35 pm
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