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नीमच। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार की कोर्ट ने ग्राम पंचायत चुनावी प्रतिस्पर्धा के चलते वर्ष 2015 में डांगरी गांव की महिला से गैंग रेप के मामले में पूर्व सरंपच सहित दो आरोपी युवक 20 वर्ष सश्रम कारावास की बुधवार को सजा सुनाई है। वहीं एक आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी करने के आदेश दिए हैं। यह अभी तक का एतिहासिक फैसला है, जिसमें पीडि़ता ने आरोपियों की पहचान नहीं की थी, सिर्फ संदेह जताया था। जिसके आधार पर डीएनए टेस्ट और एफएसएल रिपोर्ट में पुष्टि होने के बाद आरोपियों पर कार्रवाई हुई है। जघन्य प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि बालात्कार एक ऐसा अनुभव है, जो पीडि़ता के जीवन की बुनियाद हिला देता है और बहुत सी स्त्रियों के लिए इसका दुष्परिणाम लंबे समय तक बना रहता है। व्यक्तिगत संबंधों को बुरी तरीके से प्रभावित करता है। व्यवहार और मूल्यों को आतंकित करता है। यह किसी भी महिला के मौलिक अधिकारों का उल्लघंन है। इस सुस्थापित सिद्धांत को दृष्टिगंत रखते हुए ही ऐसे प्रकरणों में फैसला किया जाना न्यायोचित है।
लोक अभियोजक मनीष जोशी ने बताया कि मनासा के डांगरी गांव निवासी एक युवती ने मनासा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पीडि़ता के अनुसार वह डांगरी गांव की निवासी है, उसकी शादी बचपन में कुकडेश्वर के एक युवक से हुई थी। वह ससुराल नहीं गई, अपने मायके रहती थी। ३० जनवरी २०१५ की रात की घटना है, उसके मां मामाजी के पुत्र की शादी में हाड़ीपिपल्या गई थी। वह घर पर अकेली थी। रात करीब ढा़ई बजे उसके मामाजी के लड़के के नाम से किसी ने आवाज लगाई और कहा कि इंदिरा दरवाजा खोल। इस पर उसने जाकर दरवाजा खोला तो दो व्यक्ति उम्र करीब ३०-३५ वर्ष अंदर आए और बोले कि तू चुनाव लड़। दोनों ने उसे हाथ पकड़कर पलंग पर पटक दिया तथा दोनों ने बारी-बारी उसके साथ दुष्कर्म किया। उसके मुंह में कपड़ा भरने के कारण वह चिल्ला नहीं पाई। उसके साथ झूमाझपटी की, जिससे वह घबराकर बेहोश हो गई। उसके साथ दुष्कर्म कर वह भाग निकले, उसे होश आया तो उसने मामा के पुत्र को फोन कर तबीयत खराब होना बताया। उसकी मां सहित मामा और परिजन घर पहुंचे और उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया। मनासा थाने में अज्ञात के विरूद्ध धारा 376 (2)छ भादसं में रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई शुरू की थी। कोर्ट में धारा 164 के बयान में युवती ने गांव के सरपंच कालू उर्फ कन्हैयालाल व नंदलाल कछावा सहित अन्य पर शंका जाहिर की थी। वहीं मेडिकल के दौरान चिकित्सक के अनुसार पीडि़ता के साथ लैगिंक हला होकर बालात्कार होने की राय दी गई थी। पुलिस ने जांच के बाद नामजद मनासा के डांगड़ी गांव निवासी सरपंच कन्हैयालाल (60) पिता नंदलाल रावत और नंदलाल (59) पिता मांगीलाल कछावा और अनिल (40) पिता यंशवंत बटवाल के खिलाफ धारा 376 डी और 450 भादसं में प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की थी।
यह हुई सजा
न्यायालय ने आरोपी कन्हैयाला रावत और नंदलाल कछावा को धारा 376 डी में 20-20 वर्ष सश्रम कारावास, 20 हजार रुपए जुर्माना तथा धारा 450 के तहत 5-5 वर्ष सश्रम करावास व पांच हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड अदा नहीं करने पर 3-3 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतने का प्रावधान है।
Updated on:
28 Nov 2019 12:55 pm
Published on:
28 Nov 2019 12:37 pm
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