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नए डिजिटल स्वरूप में बदल रहे हैं 8 हजार घंटे की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग

-18 वीं लोकसभा: लोकतंत्र की नई डिजिटल पहचान की ओर बढ़ते कदम -लोकसभा अध्यक्ष बिरला के दूसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा

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नई दिल्ली। आर्टिफशियल इंटलीजेंस (एआई) के इस दौर में लोकसभा भी तकनीक से कदमताल मिला रही है। लोकसभा ने लोकतंत्र की नई डिजिटल पहचान की ओर कदम बढ़ाए हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की पहल पर लोकसभा ने कई डिजिटल कदम उठाए हैं, जो संसद की कार्यप्रणाली में आमूलचूल परिवर्तन का संकेत दे रहे हैं। साथ ही आने वाले समय में स्मार्ट, पारदर्शी और समावेशी संसद का आधार भी साबित हो रहे हैं। करीब आठ हजार घंटे की ऐतिहासिक ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग को नए डिजिटल स्वरूप में बदला जा रहा है। इसमें संसद की पुरानी कार्यवाहियों, दस्तावेजों और प्रकाशनों का संरक्षण कर उन्हें आम नागरिकों के लिए सुलभ बनाया जा रहा है। इससे संसदीय इतिहास के संरक्षण के साथ लोकतंत्र की पारदर्शिता को नई परिभाषा दी जा रही है।

दरअसल, लोकसभा अध्यक्ष पद पर ओम बिरला के दूसरे कार्यकाल का पहला वर्ष गुरुवार को पूरा हुआ। इस एक साल में जहां विधायी कामकाज खूब हुआ, वहीं तकनीक से लोकसभा की दशा और दिशा बदलने पर जोर दिया गया। लोकसभा में 21 जुलाई को 18 वीं लोकसभा के पांचवे सत्र की तैयारी चल रही है। ऐसे में यहां तकनीक के साथ सांसदों के कदमताल मिलाने पर जोर दिया जा रहा है। इससे संसद अब सिर्फ एक ऐतिहासिक संस्था नहीं रही, बल्कि अब यह डिजिटल और भविष्य के लिए तैयार लोकतांत्रिक आदर्श संस्था बन रही है।

डिजिटल संसद प्रोजेक्ट 2.0

डिजिटल संसद प्रोजेक्ट 2.0 के तहत पारदर्शिता, जवाबदेही और सुलभता को सुनिश्चित करने के लिए संसद को ‘स्मार्ट संस्थान’ बनाया जा रहा है। तकनीक के जुड़ाव को अधिक प्रभावी बनाने के लिए एआई-आधारित सर्च प्रणाली भी शुरू की गई है। संसद की वीडियो लाइब्रेरी अब इतनी उन्नत हो चुकी है कि किसी भी शब्द या विषय को खोजने पर कोई भी सीधे संबंधित वीडियो तक पहुंचा जा सकता है। यह सर्च प्रणाली बोली गई भाषा को पहचानने के साथ इसके संदर्भ और अन्य भाषाओं में बोले गए शब्दों को भी खोज लेती है।

इलेक्ट्रॉनिक टैब और डिजिटल पेन से सांसदों की उपस्थिति

संसद की कार्यशैली को आधुनिक बनाने के लिए बिरला की पहल पर सांसदों की डिजिटल उपस्थिति प्रणाली भी शुरू की गई। सांसद अब इलेक्ट्रॉनिक टैब और डिजिटल पेन से अपनी उपस्थिति दर्ज करते हैं। इससे रियल-टाइम डैशबोर्ड के माध्यम से उपस्थिति डेटा का तत्काल विश्लेषण भी संभव हुआ है।

यह काम भी हुए

-पारंपरिक संसाधनों को आधुनिक स्वरूप देने के लिए संसद डिजिटल ग्रंथालय बनाया गया। यहां संसद से जुड़ी व्यापक जानकारी और शोध-सामग्री डिजिटल रूप में लोगों तक पहुंचाई जा रही है।

-पहल नव-निर्वाचित सांसदों को 19 अलग-अलग फॉर्म भरने होते थे, अब उनके लिए एकीकृत मेंबर ऑनबोर्डिंग एप्लिकेशन विकसित किया

-संसद की कार्यसूची को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के लिए एआई आधारित अनुवाद प्रणाली विकसित

-संसद भाषिणी नामक एक स्वदेशी एआई-संचालित अनुवाद टूल विकसित किया, जो संसदीय कार्यों से जुड़ी जानकारी विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध कराती है।