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बच्चों का ब्लड प्रेशर बताता है भविष्य में उनकी सेहत का हाल

शोध: बचपन से बढ़ा रक्तचाप बन सकता है मौत का खतरा

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बाल्टीमोर. हाई ब्लड प्रेशर को अक्सर बड़ों की बीमारी माना जाता है, लेकिन एक नए शोध ने यह मिथक तोड़ दिया है। जर्नल ऑफ द अमरीकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, सात साल की उम्र में ही बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर आगे चलकर समय से पहले हृदय रोग से मौत का बड़ा खतरा पैदा कर सकता है। ऐतिहासिक शोध में 1959–65 के बीच 38 हजार से अधिक बच्चों के बीपी के आधार पर 2016 तक उनकी सेहत को ट्रैक किया गया। जिन बच्चों का ब्लड प्रेशर ऊंचा था, उन्हें युवावस्था या मध्यम आयु में दिल का दौरा या स्ट्रोक से मरने का 40–50% ज्यादा जोखिम रहा। यहां तक कि सामान्य से थोड़ी-सी ऊंची रीडिंग भी भविष्य की सेहत पर गहरा असर डाल सकती है।

जेनेटिक्स ही नहीं बीपी भी जिम्मेदार

शोध का सबसे अहम पहलू था भाई-बहन की तुलना। एक ही परिवार और माहौल में पले बच्चों में भी जिसकी रीडिंग सात साल की उम्र में अधिक थी, उसमें आगे चलकर दिल की बीमारी से मरने का ज्यादा खतरा मिला। इससे साफ है कि केवल परिवार या जेनेटिक्स नहीं, बल्कि बचपन का ब्लड प्रेशर खुद निर्णायक भूमिका निभाता है।

बच्चों में बिना लक्षण होता है हाई बीपी

डॉक्टरों का कहना है कि बच्चों में हाई बीपी अक्सर बिना लक्षण के होता है और नियमित जांच के बिना पकड़ा नहीं जाता। अमरीकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स तीन साल की उम्र से हर साल ब्लड प्रेशर चेक कराने की सिफारिश करती है, लेकिन आमतौर पर इसे नजरअंदाज कर दिया जाता है।

बचपन से ही अपनाएं सही आदतें

प्रमुख शोधकर्ता डॉ. एलेक्सा फ्रीडमैन के अनुसार यह शोध बताता है कि हृदय रोग की रोकथाम केवल वयस्क जीवन की जिम्मेदारी नहीं है। इसके बीज बचपन में ही बोए जाते हैं। स्वस्थ खानपान, कम नमक, नियमित व्यायाम, अच्छी नींद और तनाव कम करने जैसी आदतें बचपन से डालना जरूरी है।