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पंजाब में किसान नेता भी मैदान में, रोचक होंग मुकाबले

- ज्यादा दलों में वोट बंटने से छोटे मुकाबले होने की उम्मीद

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विवेक श्रीवास्तव
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के खिलाफ सफल किसान आंदोलन करने के बाद किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने नई पार्टी बनाने का फैसला किया है। इसके बाद चुनाव मैदान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के अलावा कैप्टन अमरिंदर की पंजाब लोक कांग्रेस व भाजपा, अकाली दल व बसपा, आम आदमी पार्टी और किसान नेता चढूनी भी मैदान में उतर गए है। इसके बाद विधानसभा चुनावों का मुकाबला रोचक और छोटा होने की उम्मीदें बढ़ गई है जिसके चलते हार जीत का अंतर् बेहद कम हो सकता है। 2017 में कांग्रेस ने 50 से ज्यादा सीटों पर जीत कम मार्जिन से जीती थी। पंजाब में सभी चुनावी दल सत्ता में आने का दावा कर रहे है।


कांग्रेस -
कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर दलित कार्ड खेला था लेकिन उसके बाद पार्टी नेताओं की आपसी खींचतान काफी बढ़ गई। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़, उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और राज्य के सांसदों के बीच खींचतान कई बार सामने आई है। हालांकि प्रभारी हरीश चौधरी लगातार चंडीगढ़ में डेरा डालकर समन्वय स्थापित करने के प्रयास में जुटे है।


भाजपा और कैप्टन -
अकाली दल से अलग होकर भाजपा पहली बार कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पार्टी के साथ चुनाव मैदान में है। कृषि कानूनों की वापसी के बाद कैप्टन के साथ मिलकर भाजपा अपनी पैठ बढ़ाने में लगी है लेकिन कई जिलों में संगठन नहीं होने का खामियाजा भी भुगतना पड़ रहा है। हालांकि कैप्टन का अनुभव भाजपा के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकता है। राज्य के जाट और हिन्दू मतदाताओं में कैप्टन की छवि काफी मजबूत है। भाजपा व अमरिंदर के साथ सुखदेव सिंह ढींढसा की पार्टी भी गठबंधन में साथ है।


अकाली और बसपा -
कृषि कानूनों के खिलाफ एनडीए गठबंधन से अलग होकर शिरोमणि अकाली दल इसबार बसपा के साथ चुनावी मैदान में है। अकाली नेता सुखवीर सिंह बादल ने जमीन पर इसबार काफी मेहनत की है। बादल ने इसबार बसपा के साथ चुनाव में जाने और दलित उपमुख्यमंत्री बनाने का दांव चला था लेकिन कांग्रेस ने चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर इसमें सेंध लगा दी।


आप -
राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी आम आदमी पार्टी इसबार सत्ता हासिल करना चाहती है, इसके लिए दिल्ली मॉडल के सहारे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पूरी ताकत के साथ प्रचार अभियान में जुटे है। केजरीवाल इसबार शिक्षा, चिकित्सा और मुफ्त बिजली के मुद्दों पर चुनाव मैदान में है और चन्नी को घेरने में लगे हुए है। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन स्कूलों और अस्पतालों के हालात ठीक करने का वादा पंजाब की जनता से कर रहे है। आप ने अबतक मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। हालांकि जाट सिक्ख को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात केजरीवाल ने कही है।


संयुक्त संघर्ष पार्टी -
भारतीय किसान यूनियन के लीडर गुरनाम सिंह चढूनी ने भी शनिवार को संयुक्त संघर्ष पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि देश में पार्टियों की कमी नहीं है लेकिन देश में बदलाव की जरूरत है। इन पार्टियों ने राजनीति को व्यापार बना लिया है। राजनीति में बदलाव लाने के लिए, राजनीति को शुद्ध करने के लिए हम अपनी नई धर्मनिरपेक्ष पार्टी लॉन्च कर रहे हैं। हालांकि इस पार्टी में कितने किसान नेता शामिल होते है यह अभी स्पष्ट नहीं है। साथ ही यह किसी दल के साथ गठबंधन में लड़ेगी या अकेले इसपर भी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है।

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