
तेजस्वी यादव और राहुल गांधी बिहार चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं। Patrika
नई दिल्ली। बिहार में इंडिया ब्लॉक यानी महागठबंधन सत्ता में आने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहा है। वहीं इस महागठबंधन का अहम सहयोगी कांग्रेस है। लोकसभा चुनाव में अच्छे नतीजों से उत्साहित कांग्रेस अपने सहयोगी दल राजद से बेहतर सौदेबाजी के लिए सडक़ों पर आंदोलन से लेकर सोशल इंजीनियरिंग करने में जुटी हुई है।
दरअसल, महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए औपचारिक बैठकों का दौर शुरू कर दिया है। 243 सीटों वाले इस राज्य में कांग्रेस ने अपने दायरा बढ़ाने की महत्वकांक्षा भी जाहिर कर दी है। इसके लिए पार्टी ने प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष के साथ रणनीति में अमूलचूल बदलाव किया। युवाओं को टारगेट करने के लिए जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को सडक़ों पर उतार कर बेरोजगारी के मुद्दे को हवा दी। वहीं प्रदेश अध्यक्ष पद पर दलित नेता व विधायक राजेश कुमार को काबिज किया। इसके साथ ही पिछले कुछ सालों में युवा कांग्रेस को आक्रमक बनाने वाले कृष्णा अल्लावरू को प्रभारी बनाया। पार्टी ने कोशिश की है कि बिहार में दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं के समीकरण को साधा जाए। इसी समीकरण की मदद से कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 3 सीटों पर जीत हासिल की है। अब पार्टी के सामने एक बार फिर विधानसभा चुनाव की परीक्षा है।
कांग्रेस ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से जीत सिर्फ 19 सीटों पर मिली थी। पिछले चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में काफी विरोधाभास रहा था, तब यह कहा गया था कि कांग्रेस के हिस्से में अधिकांश ऐसी सीटें आई थी, जहां महागठबंधन की हार तय थी। इस बार कांग्रेस अपने इन समीकरणों को बदलते हुए मनमाफिक कांग्रेस के मजबूत संगठन वाली 80 से अधिक सीटों पर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रही है।
महागठबंधन ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 37.23 फीसदी वोट हासिल कर 110 सीटों पर जीत हासिल की थी। राजद को 23.11 फीसदी और कांग्रेस को 9.48 फीसदी वोट मिले थे। वहीं 2024 के लोकसभा चुनावों में महागठबंधन ने 39.21 फीसदी वोट हासिल कर 40 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की। राजद का वोट 22.14 फीसदी और कांग्रेस का 9.20 फीसदी रहा।
Published on:
21 Apr 2025 04:10 pm
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