
चैतन्यानंद सरस्वती मामले में सुनवाई से जज ने खुद को अलग कर लिया।
Chaitanyananda Saraswati: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में आज एक बार फिर चर्चित सन्यासी चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी का मामला सुर्खियों में रहा। गुरुवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी, लेकिन कोर्ट में उस समय अप्रत्याशित मोड़ आ गया जब एडिशनल सेशन जज अतुल अहलावत ने खुद को इस केस की सुनवाई से अलग कर लिया। इसके बाद यह मामला अब दोपहर 12 बजे डिस्ट्रिक्ट जज के समक्ष सुना जाएगा।
दरअसल, चैतन्यानंद सरस्वती उर्फ पार्थसारथी दिल्ली के वसंत कुंज स्थित एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान में बतौर निदेशक तैनात थे। संस्थान की 17 से ज्यादा छात्राओं ने उनपर जबरन यौन शोषण का आरोप लगाया है। इसी मामले में वह न्यायिक हिरासत में हैं। दिल्ली पुलिस ने 27 सितंबर को उन्हें आगरा से गिरफ्तार किया था। 28 सितंबर को कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस को 5 दिन की रिमांड दी गई थी। इसके बाद 3 अक्टूबर को कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया, जो 17 अक्टूबर तक जारी रहेगी।
गुरुवार को जब उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई शुरू होनी थी, तो कोर्ट रूम में माहौल तनावपूर्ण हो गया। बचाव पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट अजय बर्मन चैतन्यानंद की जमानत की पैरवी करने वाले थे। लेकिन सुनवाई शुरू होने से पहले ही जज अतुल अहलावत ने खुद को इस केस से अलग कर लिया। यह पहली बार नहीं है जब जज अहलावत ने इस तरह का कदम उठाया है। इससे पहले भी वे चैतन्यानंद की वित्तीय अनियमितता से जुड़ी अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर चुके हैं। इस वजह से अब मामले की सुनवाई डिस्ट्रिक्ट जज के पास स्थानांतरित कर दी गई है।
ज्यूडिशियल कस्टडी में रहने के दौरान चैतन्यानंद ने कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर सन्यासी वस्त्र और आध्यात्मिक किताबें उपलब्ध कराने की मांग की है। बुधवार को इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (JMFC) अनिमेष कुमार ने दिल्ली पुलिस से जेल मैनुअल के नियमों के आधार पर विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा। जज ने टिप्पणी की, “प्रथम दृष्टया जेल मैनुअल में कैदियों के कपड़ों या धार्मिक किताबों पर कोई रोक नहीं दिखती। जब कोई पाबंदी नहीं है, तो मैं इन्हें कैसे मना कर सकता हूं?” इस अर्जी पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
चैतन्यानंद के वकील मनीष गांधी ने अदालत से जब्ती मेमो की कॉपी उपलब्ध कराने की भी मांग की है, जिस पर पुलिस को शुक्रवार तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। वकील ने यह भी आग्रह किया कि 65 वर्ष से अधिक उम्र और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को देखते हुए उन्हें अतिरिक्त बिस्तर दिया जाए। गांधी ने तर्क दिया कि जेल मैनुअल के अनुसार विचाराधीन कैदियों को अपनी पसंद के कपड़े पहनने की अनुमति होती है।
यह पहला मौका नहीं है जब चैतन्यानंद की जमानत चर्चा में है। इससे पहले वित्तीय अनियमितता के एक मामले में उनकी अग्रिम जमानत याचिका को भी पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया था। अब मौजूदा छेड़छाड़ के मामले में भी उनकी जमानत की राह मुश्किल मानी जा रही है। अब देखना यह होगा कि डिस्ट्रिक्ट जज की अदालत में दोपहर 12 बजे होने वाली सुनवाई में चैतन्यानंद को राहत मिलती है या नहीं। फिलहाल, मामला संवेदनशील और हाई-प्रोफाइल होने के चलते दिल्ली पुलिस और कोर्ट दोनों की नजरें इस पर टिकी हुई हैं।
Published on:
09 Oct 2025 01:12 pm
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