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राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस: अमित शाह करेंगे लोकार्पण और ‘राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ का विमोचन

- राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस केंद्रीय मंत्रालयों, राज्‍यों/संघराज्‍य क्षेत्रों और सहकारी समितियों के बीच प्रभावशाली संवाद का एक महत्‍वपूर्ण उपकरण है जिससे सहकारी क्षेत्र के सभी हितधारक लाभान्वित होंगे

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अनुराग मिश्रा

नई दिल्ली। राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस का लोकार्पण आठ मार्च को शुक्रवार को किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहकारी डाटाबेस लोकार्पण करेंगे। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ‘राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ का विमोचन भी करेंगे।

"सहकार से समृद्धि" के विजन को साकार करने की दिशा में सहकारिता मंत्रालय की यह एक और महत्त्वपूर्ण पहल है। इसके तहत सहकारिता मंत्रालय ने भारत के विशाल सहकारी सेक्टर की महत्वपूर्ण सूचनाओं को एकत्र करने के लिए एक सुदृढ़ डेटाबेस की अनिवार्य आवश्यकता को पहचाना है। सहकारिता केंद्रित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित करने के लिए राज्‍य सरकारों, राष्‍ट्रीय संघों और हितधारकों की सहभागिता से राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस का विकास किया गया है।

कार्यक्रम में आ रहे 14 सौ लोग एक वर्कशॉप में भी लेंगे हिस्सा

लोकार्पण समारोह में करीब 1400 प्रतिभागी भाग लेंगे जिनमें केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के सचिव और अन्‍य वरिष्ठ अधिकारीगण, राज्‍यों/संघराज्‍य क्षेत्रों के अपर मुख्य सचिव/प्रधान सचिव, सहकारी समितियों के पंजीयक, देशभर की सहकारी समितियां, अन्‍य सहकारी संघ/यूनियन आदि शामिल हैं। प्रतिभागियों को राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस (NCD) के उपयोग व अनुप्रयोग तथा भारत के सहकारी भूदृश्‍य में सुधार की इसकी क्षमता के बारे में जानकारी देने और प्रबुद्ध करने के लिए पूर्वाह्न के सत्र में एक तकनीकी कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी ।
राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस में सहकारी समितियों के डेटा को विभिन्न हितधारकों से चरणबद्ध तरीके से एकत्र किया गया है। पहले चरण में, तीन क्षेत्रों यानी प्राथमिक कृषि ऋण समिति, डेयरी और मत्स्यिकी की लगभग 2.64 लाख प्राथमिक सहकारी समितियों की मैपिंग पूरी की गई। दूसरे चरण में विभिन्न राष्ट्रीय संघों, राज्य संघों, राज्‍य सहकारी बैंक (StCB), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB), शहरी सहकारी बैंक (UCB), राज्‍य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (SCARDB), प्राथमिक कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (PCARDB), सहकारी चीनी मिलों, जिला यूनियनों और बहुराज्य सहकारी समितियों (MSCS) के आंकड़े एकत्रित/मैप किए गए। तीसरे चरण में अन्य बाकी क्षेत्रों में 5.3 लाख से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों के डेटा की राज्‍य/संघ राज्‍यक्षेत्र, RCS/DRCS कार्यालयों के माध्यम से मैपिंग की गई।

राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस एक वेब आधारित डिजिटल डैशबोर्ड है जिसमें राष्ट्रीय/राज्य संघों सहित सहकारी समितियों के डेटा को एकत्र किया गया है। सहकारी समितियों के डेटा को राज्‍यों/ संघ राज्‍यक्षेत्रों के नोडल अधिकारियों द्वारा RCS/DRCS कार्यालयों में प्रविष्‍ट और सत्‍यापित किया गया है और संघों के डेटा विभिन्‍न राष्‍ट्रीय/राज्‍य संघों द्वारा प्रदान किए गए हैं।

29 करोड़ सरकारी सदस्यों की जानकारी एक जगह

डेटाबेस ने विभिन्‍न सेक्‍टरों की लगभग 8 लाख सहकारी समितियों के साथ-साथ उनकी 29 करोड़ से भी अधिक की सामूहिक सदस्‍यता की सूचनाओं को एकत्र/मैप किया है। सहकारी समितियों से एकत्रित सूचनाएं उनके पंजीकृत नाम, तारीख, स्‍थान, सदस्‍यों की संख्‍या, क्षेत्र की सूचना, कार्यक्षेत्र, आर्थिक कार्यकलाप, वित्तीय लेनदेन के विवरण और ऑडिट की स्थिति आदि जैसे विभिन्‍न मानदंडों से संबंधित हैं।

राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस केंद्रीय मंत्रालयों, राज्‍यों/संघ राज्‍यक्षेत्रों और सहकारी समितियों के बीच प्रभावशाली संवाद का एक महत्‍वपूर्ण उपकरण है जिससे सहकारी क्षेत्र के सभी हितधारक लाभान्वित होंगे। यह डेटाबेस पंजीकृत समितियों का व्यापक संपर्क विवरण प्रदान करता है जो सरकारी संस्‍थाओं और इन समितियों के बीच सुचारु संप्रेषण में सहायक है।

राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस अनेक लाभ प्रदान करता है जिससे सिंगल पॉएंट एक्‍सेस, समेकित और अद्यतित डेटा, यूजर फ़्रेंडली इंटरफेस, वर्टिकल और हॉरिज़ोंटल लिंकेज, प्रश्‍न-आधारित रिपोर्टेस और ग्राफ, प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) रिपोर्टेस, डेटा विश्लेषण और भौगोलिक मैपिंग आदि से सहकारी क्षेत्र की कुशलता और प्रभावशीलता बढ़ाने में मदद मिलती है। इस पहल की सफलता प्रभावी सहयोग, सटीक डेटा संग्रह और क्षेत्रीय अंतराल की पहचान करने के लिए डेटाबेस के रणनीतिक उपयोग और तदनुसार रिक्त स्थान को भरने के लिए उपयुक्त नीति और सूचित निर्णय लेने पर निर्भर करती है। कुल मिलाकर, राष्‍ट्रीय सहकारी डेटाबेस सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता और सहभागिता को बढ़ावा देता है।

राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का शुभारंभ सहकारिता के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों का विकास आर्थिक, सामाजिक और सामुदायिक समस्याओं के समाधान, व्यक्तियों के सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण समुदायों के समग्र कल्याण में अपने योगदान के वादे को पूरा करता है। यह पहल जमीनी स्तर पर एक सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक है जो समृद्ध और 'आत्मनिर्भर’ भारत की परिकल्पना के अनुरूप है।