राज्यसभा में सभापति की कुर्सी पर मौजूद घनश्याम तिवाड़ी के बयान के साथ ही ये स्पष्ट हो गया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार हो गया है.. संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन अचानक आए इस्तीफे से सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर तेज है। जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों को इस्तीफे की वजह बताया। मगर, विपक्ष इसे दाल में कुछ काला बता रहा है। विपक्ष के कई नेताओं ने इस्तीफे की टाइमिंग और वजह पर सवाल उठाया है। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी रिएक्शन सामने आया।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री ने लिखा कि जगदीप धनखड़ को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं। उम्मीद थी कि पीएम मोदी की पोस्ट में कुछ ऐसा होगा.. जिसमें विपक्ष के सभी आरोपों का जवाब मिल सकें, मगर, सिर्फ एक लाइन की पोस्ट में पीएम मोदी ने तमाम दूसरी अटकलों को बढ़ावा दे दिया।
दरअसल, सियासी जानकार धनखड़ के इस्तीफे को राज्यसभा में पहले दिन की कार्यवाही से जोड़ रहे हैं। जिसमें घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में विपक्ष की ओर से हाईकोर्ट जज यशवंत वर्मा को हटाने के लिए प्रस्ताव लाया गया। विपक्ष के 63 सांसदों ने नोटिस पेश किया.. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस नोटिस को स्वीकार कर लिया और सदन के महासचिव को आवश्यक कदम उठाने के लिए कहा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ये कदम केंद्र सरकार को ठीक नहीं लगा। कयास लगाए जा रहे है कि यही उनके इस्तीफे की वजह बन गया।