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रेलवे के क्रांतिकारी बदलाव से घर बनाना हो जाएगा सस्ता

-प्रति टन प्रति किलोमीटर सिर्फ 0.90 रुपए की फ्लैट दर  -अप्रयुक्त रेलवे भूमि पर बनेंगे बल्क सीमेंट टर्मिनल

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नई दिल्ली। भारतीय रेलवे सीमेंट अब विशेष रूप से बनाए रेल कंटेनरों से सीधे निर्माण स्थलों तक पहुंचाएगा। इससे सीमेंट परिवहन सस्ता होगा। केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव इसे क्रांतिकारी बदलाव बता रहे हैं। साथ ही उन्होंने इससे घर बनाने की लागत कम होने का दावा भी किया है।

दरअसल, रेल मंत्री ने अश्विनी वैष्णव ने कंटेनरों में बल्क सीमेंट के लिए दरों के सरलीकरण और बल्क सीमेंट टर्मिनलों के लिए नीति जारी की। यह नीति रेलवे के सीमेंट परिवहन सुधारों का हिस्सा है। रेल भवन में केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने इसे एक गेम चेंजर कदम बताया। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से मध्यम वर्ग और गरीब परिवारों के लिए अपने सपनों का घर बनाना सस्ता होगा। नई नीति के तहत दूरी और भार के स्लैब हटा दिए गए हैं। नई दर को 0.90 रुपए प्रति टन प्रति किलोमीटर की फ्लैट ग्रॉस टन-किलोमीटर दर पर तर्कसंगत बनाया गया है। वैष्णव ने कहा कि टैंक कंटेनर बल्क सीमेंट परिवहन के लिए एक छोर से दूसरे छोर तक पूरी तरह प्रदूषण-मुक्त लॉजिस्टिक समाधान प्रदान करेंगे। उन्होंने बताया कि भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मालवाहक देश बन गया है और माल ढुलाई में अमेरिका को पीछे छोड़ चुका है।

विशेष तरह के कंटेनर

नई नीति से सीमेंट एक साथ बड़ी मात्रा में कंटेनर में लोड होकर गंतव्य तक पहुंच जाएगा और फिर वहां से कनेक्शन के जरिये सीधे निर्माण स्थल की मिक्सिंग यूनिट में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इससे पैकेजिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी और अनावश्यक बर्बादी भी नहीं होगी। सीमेंट के लिए बना नया कंटेनर जंगरोधी मिश्र धातु से बना है। इसमें वायुरोधी ढक्कन लगे हैं जिससे नमी या पानी रिसाव की आशंका नहीं रहती है। सीमेंट कंपनियों को इसे लीज या रेंट पर लेने का विकल्प मिलेगा। यह माडल सफल रहा तो इसे फ्लाई ऐश एवं अन्य बल्क मटेरियल्स के परिवहन में भी अपनाया जा सकेगा। यह न केवल रेलवे के लिए अतिरिक्त राजस्व का स्त्रोत बनेगा बल्कि सीमेंट उद्योग की दक्षता को भी मजबूत करेगा।