
नई दिल्ली। देश के पहाड़ी इलाकों में लगातार बढ़ रहे भू-स्खलन को रोकने के लिए अब सरकार स्विट्जरलैंड की तकनीक अपनाने जा रही है। इसके लिए केन्द्र सरकार ने स्विट्जरलैंड से एमओयू किया है। वहीं टोल नाको को समाप्त कर टोल पाइंट बनाए जाएंगे। जहां से कोई भी वाहन तेज गति से निकल सकेगा। जबकि उसके नंबर प्लेट और फास्टटैग के फोटो से बैंक से अपने आप टोल राशि कट जाएगी। लोकसभा में यह जानकारी केन्द्रीय सडक़ व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दी है।
वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान चंढीगढ़-शिमला हाइवे समेत कई अन्य हाइवे पर कमजोर रिटेनिंग वाल के चलते भू-स्खलन की समस्या को उठाया। इस पर मंत्री गडकरी ने कहा कि चंढीगढ़ से शिमला व मनाली के साथ हिमालय टेरेन में यही समस्या है। स्लोप प्रोटेक्शन के लिए हमने स्विट्जरलैंड से एमओयू किया है। ब्लैक स्पॉस्ट्स की तरह भू-स्खलन के 84 पाइंट्स चिन्हित किए हैं। जहां हम विशेष तकनीक से भूस्खलन रोकने का काम कर रहे हैं। हालांकि इसमें अभी कुछ समय लग सकता है।
लोकसभा में गडकरी ने टोल नाको को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में कहा कि जल्द ही देश के सभी नेशनल हाइवे से टोल नाके हटा दिए जाएंगे। सरकार एक ऐसी सीमलेस ट्रैफिक प्लान पर काम कर रही है, जिसमें टोल देने के लिए गाड़ी रोकने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। गडकरी ने बताया कि अब नई तकनीक के जरिए गाडियां 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से टोल पॉइंट से निकल सकेंगी। वहां कोई बैरियर या नाका नहीं होगा। उन्होंने बताया कि जैसे ही गाड़ी टोल पॉइंट से गुजरेगी, वहां लगे हाई-टेक कैमरे आपकी नंबर प्लेट और फास्टैग की फोटो ले लेंगे। इसके बाद टोल राशि लिंक किए गए बैंक अकाउंट से कट जाएगी। उन्होंने बताया कि नई नीति के तहत अगर किसी सडक़ का टोल 60 किमी के लिए तय है और वाहन केवल 15 किमी ही चलते हैं, तो सिर्फ 15 किमी का ही भुगतान करना होगा।
Updated on:
19 Dec 2025 03:23 pm
Published on:
19 Dec 2025 03:17 pm
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