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युद्धविराम पर ट्रंप की धमकी के बाद पुतिन ने लगाई तीन शर्तें

वाशिंगटन. कीव. मास्को. अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को चेतावनी दी है कि अगर रूस, यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम पर सहमति नहीं देता, तो उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। ट्रंप ने कहा, ‘हम रूस के लिए बहुत बुरा कर सकते हैं, यह उनके लिए विनाशकारी होगा। लेकिन मैं ऐसा नहीं […]

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जयपुर

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Nitin Kumar

Mar 15, 2025

वाशिंगटन. कीव. मास्को. अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को चेतावनी दी है कि अगर रूस, यूक्रेन युद्ध में युद्धविराम पर सहमति नहीं देता, तो उस पर कड़े प्रतिबंध लगाए जाएंगे। ट्रंप ने कहा, 'हम रूस के लिए बहुत बुरा कर सकते हैं, यह उनके लिए विनाशकारी होगा। लेकिन मैं ऐसा नहीं चाहता क्योंकि शांति जरूरी है। संघर्ष विराम को लेकर हम रूस की हां हासिल करने के करीब हैं, जिससे इस भयानक युद्ध को खत्म करने की राह का 80% सफर पूरा हो सकता है।' एक ओर ट्रंप के इस बयान से रूस के प्रति कड़ा रुख सामने आया है तो दूसरी ओर पुतिन ने भी अपनी पुरानी मांगों को दोहराते हुए कहा है कि उनकी मांगें मान ली जाती हैं तो वह भी युद्धविराम को अपनी मंजूरी दे देंगे।

वाइट हाउस में आयरलैंड के प्रधानमंत्री माइकल मार्टिन के साथ बैठक के बाद ट्रंप ने कहा कि अमरीकी वार्ताकार रूस जा रहे हैं ताकि युद्धविराम पर बातचीत हो सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमरीका रूस के खिलाफ कड़े कदम उठा सकता है, लेकिन वह शांति चाहता है।

ट्रंप की पुतिन को चेतावनी का बयान ऐसे समय आया है जब दो हफ्ते पहले ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच अमरीका की युद्ध नीति को लेकर तनाव बढ़ गया था। ट्रंप ने कुछ समय के लिए यूक्रेन को सैन्य सहायता और खुफिया जानकारी देना भी बंद कर दिया था, पर कीव के युद्धविराम प्रस्ताव पर राजी होने के बाद इसे बहाल कर दिया।

क्या हैं रूस की तीन मांगें

रूस ने अब जो मांगें रखी हैं वे नाटो के साथ-साथ यूक्रेन और अमरीका के समक्ष रखी गई पिछली शर्तों के समान हैं। इनमें पहली है यूक्रेन को नाटो में शामिल न होने देना, जो यूक्रेन पर रूस के हमले का मुख्य कारण है। मॉस्को, कीव को रूसोस्फीयर का हिस्सा मानता है, जिसमें मुख्य रूप से पूर्व सोवियत संघ के राज्य शामिल हैं जो इसके प्रभाव क्षेत्र में आते हैं। इन देशों में नाटो के विस्तार को रूस एक खतरे के रूप में देखता है। लातविया, एस्टोनिया और लिथुआनिया जैसे पूर्व सोवियत संघ के कुछ राज्य पहले से ही नाटो के सदस्य हैं। दूसरी मांग यह है कि युद्ध के बाद यूक्रेन में विदेशी सेना की तैनाती नहीं होनी चाहिए। पुतिन की तीसरी मांग है क्रीमिया और डोनबास क्षेत्र में रूस के हिस्से के रूप में उसके द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों के लिए अंतरराष्ट्रीय मान्यता, जिसमें डोनेत्स्क, लुहांस्क, जापोरिज्जिया और खेरसान प्रांत शामिल हैं।