
खेतों में पड़े गन्ने के पत्ते एवं अन्य कचरे को आग के हवाले कर दिया जाता है
गाडरवारा। शासन द्वारा खेतों में आग लगाने पर रोक लगाने का आदेश जारी किया गया है। बीते दिनों दिल्ली समेत अनेक शहरों में धुंध एवं पर्यावरण प्रदूषण में खेतों की आग को प्रमुख वजह माना गया था। इस मुददे की देश भर में चर्चा हुई थी। वहीं जिले एवं तहसील में भी खेतों में आग लगाकर नरवाई जलाने की पुरानी प्रथा रही है। फसल कटने के बाद खेतों को साफ करने के लिए अनेक किसान शार्टकट का तरीका अपनाते हैं और खेतों में कटाई के बाद बचे डंठलों जिन्हे नरवाई कहा जाता है। इसे नष्ट करने के लिए आग लगा देते हैं। साथ ही खेतों में पड़े गन्ने के पत्ते एवं अन्य कचरे को आग के हवाले कर दिया जाता है। इससे जहां प्रदूषण फैलता है, खेतों के उपयोगी जीवाणु एवं पोषक तत्व नष्ट होते हैं। वहीं हवा चलने पर जलने के अवशेष कालिख के रूप में ऊपर तक उड़ते हैं जो दूर दूर तक जाकर लोगों के घरों पर गिरते हैं। इसी कड़ी में नगर की राजीव वार्ड स्थित हाईवे सिटी के आसपास किसानों के खेत हैं। जहां कुछ किसान मना करने के बाद भी शासन प्रशासन के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए खेतों में आग लगा रहे हैं। इससे मोहल्लावासी बहुत परेशान हैं। पूरे मोहल्ले के मकानों में जले हुए गन्ने के जलने की कालिख मकानों में भर आती है। जिससे हाईवे सिटी के मोहल्लावासी परेशान होते हैं। लोगों ने बताया कि उनके द्वारा मना करने पर भी खेत वाले अपने गन्ने के खेत में आग लगा रहे हैं, जिससे मकानों में बहुत परेशानी हो रही है।
इससे जहां प्रदूषण फैलता है, खेतों के उपयोगी जीवाणु एवं पोषक तत्व नष्ट होते हैं। वहीं हवा चलने पर जलने के अवशेष कालिख के रूप में ऊपर तक उड़ते हैं जो दूर दूर तक जाकर लोगों के घरों पर गिरते हैं। इसी कड़ी में नगर की राजीव वार्ड स्थित हाईवे सिटी के आसपास किसानों के खेत हैं। जहां कुछ किसान मना करने के बाद भी शासन प्रशासन के आदेश को ठेंगा दिखाते हुए खेतों में आग लगा रहे हैं। इससे मोहल्लावासी बहुत परेशान हैं। पूरे मोहल्ले के मकानों में जले हुए गन्ने के जलने की कालिख मकानों में भर आती है। जिससे हाईवे सिटी के मोहल्लावासी परेशान होते हैं। लोगों ने बताया कि उनके द्वारा मना करने पर भी खेत वाले अपने गन्ने के खेत में आग लगा रहे हैं, जिससे मकानों में बहुत परेशानी हो रही है।
Published on:
18 Mar 2018 06:17 pm
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