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इस मंदिर में मौजूद तुलसी के पौधे राधा की गोपियां बनकर करते हैं नृत्य, जानें रहस्य

शाम को आरती के बाद नहीं कर सकता कोई मंदिर में प्रवेश

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भोपाल

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Tanvi Sharma

Dec 06, 2019

इस मंदिर में मौजूद तुलसी के पौधे राधा की गोपियां बनकर करते हैं नृत्य, जानें रहस्य

वृंदावन में भगवान श्री कृष्ण का मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध मंदिर है। निधिवन में स्थित यह मंदिर बहुत ही अनोखा और चमत्कारी मंदिर है। कहा जाता है कि इस मंदिर के दरवाजे अपने आप ही खुलते हैं और अपने आप ही बंद हो जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण भी यहां रोजाना शयन के लिये आते हैं। मंदिर में भगवान के लिये हर दिन बिस्तर लगाया जाता है। आइए मंदिर के अन्य रहस्यों के बारे में जानते हैं...

मंदिर में श्री कृष्ण के लिये लगते हैं बिस्तर

पुजारियों ने बताया की, मंदिर में भगवान श्री कृष्ण रोजाना शयन के लिये आते हैं। बताया जा रहा है कि, भगवान श्री कृष्ण के लिये यहां शयन के लिये बिस्तर लगाया जाता है। प्रतिदिन यहां साफ-सुथरे बिस्तर लगाये जाते हैं और सुबह बिस्तर में पड़ी सलवटें इस बात का प्रमाण है कि यहां श्री कृष्ण शयन के लिये आते हैं।

हर दिन सुबह खत्म हो जाता है माखन मिश्री

दूसरे रहस्य के अनुसार मंदिर में पर दिन माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है और बांटा जाता है। इसके बाद जो प्रसाद बचता है उसे मंदिर में ही रख दिया जाता है। पुजारियों का कहना है कि बचा हुआ प्रसाद सुबह तक खत्म हो जाता है। श्री कृष्ण माखन मिश्री खाते हैं।

शाम को आरती के बाद नहीं कर सकता कोई मंदिर में प्रवेश

वृंदावन मंदिर में श्री कृष्ण और राधा रानी रासलीला करने आते हैं। मान्यताओं के अनुसार, इस रासलीला को कोई व्यक्ति नहीं देख सकता अगर कोई ऐसा करता है तो वह पागल हो जाता है और उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है। इसके अलावा यहां शाम की आरती के बाद मंदिर में जाना मना है।

तुलसी के दौ पौधे हैं राधा की गोपियां

मंदिर परिसर में तुलसी के दो पौधे हैं कहते हैं रात के समय ये पौधे राधा की गोपियां बन जाती हैं और उनके साथ नृत्य करती हैं। इस तुलसी का पत्ता भी कोई नहीं ले जाता है।

मंदिर में संत हरिदास ने राधा-कृष्ण को साक्षात किया था प्रकट

मान्यता अनुसार इस मंदिर को तानसेन के गुरु संत हरिदास ने अपने भजन से राधा−कृष्ण के युग्म रूप को साक्षात प्रकट किया था। यहां कृष्ण और राधा विहार करने आते थे। यहीं पर स्वामीजी की समाधि भी बनी है।