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सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे को मंजूरी मिलने की उम्मीद

एआइडीएसओ, कर्नाटक के सचिव अजय कामत ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआइ कोटे की अनुमति देने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) का दरवाजा खटखटाया है। यह अधिनियम सरकारी मेडिकल कॉलेजों में निजीकरण के द्वार खोल देगा

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अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन (AIDSO) ने रविवार को KARNATAKA के सरकारी मेडिकल कॉलजों में एनआरआइ (गैर आवासीय भारतीयों) कोटे पर दाखिला देने के चिकित्सा शिक्षा निदेशालय के प्रस्ताव का विरोध किया।

एआइडीएसओ, कर्नाटक के सचिव अजय कामत ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआइ कोटे की अनुमति देने के लिए राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) का दरवाजा खटखटाया है। यह अधिनियम सरकारी मेडिकल कॉलेजों में निजीकरण के द्वार खोल देगा और इसलिए एआइडीएसओ इस कदम का पुरजोर विरोध करता है। वर्ष 2018 में भी एक ऐसे ही प्रस्ताव का विरोध हुआ था।

परिसर में असमानता पैदा होगी

उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में वार्षिक फीस 80,000 रुपए तक हो गई है। गरीब छात्रों के लिए यह बड़ी रकम है। एनआरआइ कोटा को हरी झंडी मिलते ही इन कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई और महंगी हो जाएगी। एआइडीएसओ का मानना है कि सरकारी संस्थानों में NRI Quota लोकतांत्रिक शिक्षा पर सीधा हमला है और इससे परिसर में असमानता पैदा होगी। राज्य सरकार का कहना है कि उसके पास संस्था चलाने के लिए पैसे नहीं हैंं। इस तरह फीस में और बढ़ोतरी की जमीन तैयार हो रही है और जल्द ही राज्य में कोई गरीब छात्र शायद ही चिकित्सक बन पाए।

मंजूरी की पूरी उम्मीद

चिकित्सा शिक्षा निदेशालय की निदेशक डॉ. बी. एल. सुजाता राठौड़ ने कहा, वर्तमान में एनआरआइ कोटा सीटें केवल निजी मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध हैं। पिछले साल भी हमने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआइ कोटा सीटें शुरू करने के लिए एनएमसी को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। हालांकि, सीटें स्वीकृत नहीं थीं। इस बार भी, एनएमसी को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है और मंजूरी की उम्मीद है। एनआरआइ कोटा सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेजों के लिए राजस्व का अच्छा स्रोत होंगी। ये सीटें मेधावी एनआरआइ छात्रों को आवंटित की जा सकती हैं।

राज्य में 24 सरकारी मेडिकल कॉलेज

उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 24 सरकारी मेडिकल कॉलेज, 36 निजी मेडिकल कॉलेज और छह डीम्ड मेडिकल कॉलेज हैं। शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए इन संस्थानों में कुल 11,020 मेडिकल सीटें उपलब्ध हैं। सभी निजी मेडिकल कॉलेजों में 15 फीसदी एनआरआइ कोटा सीटें हैं और पिछले साल इस कोटा के तहत 2,338 सीटें भरी गई थीं।

हरी झंडी के बाद शुल्क निर्धारण

फीस पर डॉ. राठौड़ ने कहा कि वर्तमान में, राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सरकारी कोटा मेडिकल सीटों के लिए शुल्क संरचना 59,350 से 71,375 रुपए प्रति वर्ष है। निजी कॉलेजों में एनआरआइ कोटा सीट की फीस 25 से 50 लाख रुपए के बीच होती है। राज्य सरकार ने अभी तक सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआइ कोटा सीटों के लिए शुल्क पर निर्णय नहीं लिया है। एनएमसी से हरी झंडी के बाद शुल्क निर्धारित की जाएगी।