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सरिस्का के कोर, बफर एरिया में चल रहे होटल-रेस्टोरेंट को तुरंत बंद करने की सिफारिश…30 सितंबर तक हो जाए पूरी कार्रवाई

सरिस्का के वर्तमान व भविष्य की चिंता करते हुए सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी सिफारिशें पेश कर दी हैं। सरिस्का के कोर, बफर, सेंचुरी एरिया में चल रहे होटल-रेस्टोरेंट व रिसॉर्ट आदि कॉमर्शियल गतिविधियों को तुरंत बंद करने के लिए कहा है।

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अलवर

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susheel kumar

Jul 29, 2024

alwar ke sariska century ka board

- सुप्रीम कोर्ट में सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की रिपोर्ट पेश, सरिस्का की 40256 हैक्टेयर जमीन 30 सितंबर तक वन विभाग के नाम चढ़ाएं, शेष भूमि की म्यूटेशन प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी की जाए

- ईएसजेड का नोटिफिकेशन 31 दिसंबर 2024 तक जारी करना होगा, बाकी सभी सीमाओं के नामांकन की प्रक्रिया 30 मार्च 2025 तक पूरी करनी होगी

- सीईसी ने कहा, सरिस्का का क्षेत्र सीटीएच से छोटा, ऐसे में इसके दायरे को बढ़ाने पर करना होगा काम, आसपास के एरिया मिलाए जाएं

- पांडूपोल मंदिर तक जाने के लिए निजी वाहनों का उपयोग 31 मार्च 2025 के बाद बंद हो जाएगा, मंदिर ट्रस्ट को भी इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करना होगा

सरिस्का के वर्तमान व भविष्य की चिंता करते हुए सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीईसी) ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी सिफारिशें पेश कर दी हैं। सरिस्का के कोर, बफर, सेंचुरी एरिया में चल रहे होटल-रेस्टोरेंट व रिसॉर्ट आदि कॉमर्शियल गतिविधियों को तुरंत बंद करने के लिए कहा है। साथ ही उल्लंघन करने वालों पर 30 सितंबर तक कार्रवाई की संस्तुति की है। सीईसी ने कहा है कि सरिस्का का बफर (वन व राजस्व) एरिया 332.23 वर्ग किमी है। उनके भ्रमण के दौरान पाया गया कि अलवर तहसील के सिलीसेढ़, किशनपुर, पैंतपुर, डहलावास, सिरावास, नारायणपुर तहसील के मनावास और प्रतापगढ़ तहसील के अजबगढ़ क्षेत्र में होटल-रिसॉर्ट का संचालन हो रहा है। कई निर्माणाधीन हैं। ऐसे में यह गतिविधियां पूरी तरह बंद होनी चाहिए। विकासात्मक कार्य यदि किए जाएं तो उसके लिए राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की अनुमति ली जाए। सीईसी की यह सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट की मुहर लगते ही लागू हो जाएंगी।

जमीन का म्यूटेशन 31 दिसंबर तक पूरा करना होगा

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के रजिस्ट्रार को सौंपी 262 पेज की रिपोर्ट में सीईसी ने कहा है कि सरिस्का क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट यानी सीटीएच एरिया 811.21 हैक्टेयर है। इसमें 40256 हैक्टेयर जमीन प्रशासन 30 सितंबर तक वन विभाग के नाम करे। बाकी शेष भूमि के म्यूटेशन की प्रक्रिया 31 दिसंबर 2024 तक पूरी कर ली जाए। इको सेंसेटिव जोन (ईएसजेड) का नोटिफिकेशन 31 दिसंबर 24 तक जारी कर दिया जाए। सरिस्का की बाकी सभी सीमाओं के नामांकन की प्रक्रिया 30 मार्च 2025 तक पूरी कर ली जाए।

पांडूपोल के लिए ये कीं सिफारिशें

सीईसी ने यह भी कहा है कि सरिस्का का क्षेत्र सीटीएच से छोटा है, ऐसे में इसके दायरे को बढ़ाने पर काम किया जाना चाहिए। आसपास के एरिया इसमें शामिल किए जाएं। सरिस्का में मौजूद गांवों को जल्द विस्थापित कर दिया जाए। पांडूपोल मंदिर तक जाने के लिए निजी वाहनों का उपयोग 31 मार्च 2025 के बाद नहीं हो पाएगा। मंदिर ट्रस्ट को भी इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करना होगा। सीईसी ने सिफारिश की है कि इलेक्टि्रक वाहनों का संचालन जल्द से जल्द हो और उसके लिए शुल्क निर्धारित हो।