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छिंदवाड़ा में देखिए…छह माह में कैसे बदला मतदाताओं ने फैसला

नवनिर्वाचित सांसद विवेक बंटी साहू बुधवार को नई जिम्मेदारी के साथ मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने कहा कि संसदीय क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पहली प्राथमिकता है। इसके अलावा विकास के अन्य मुद्दों को राज्य और केन्द्र सरकार के ध्यान में लाना उनकी जिम्मेदारी होगी।

छिंदवाड़ाJun 07, 2024 / 05:42 pm

manohar soni

छिंदवाड़ा.छह महीने पहले मतदाताओं ने जिस उत्साह और विश्वास के साथ कांग्रेस को सातों विधानसभा सीटों से विजय दिलाई थी, लोकसभा चुनाव आते-आते उसके मन में परिवर्तन का भाव आ गया और उसने इवीएम में अपना मत पलट दिया। सबसे गौर करने वाली बात यह है कि इस छह माह के अंतराल में भाजपा जितने मत रिकवर कर नहीं पाई, उससे कहीं ज्यादा मत कांग्रेस ने खो दिए। विश्लेषक मान रहे हैं कि दो माह तक कमलनाथ-नकुलनाथ के भाजपा में जाने की अफवाह और केन्द्र व राज्य की भाजपा सरकार में छिंदवाड़ा के दस साल तक विकास से पिछडऩे की सोच के साथ वोटर्स ने भाजपा का साथ निभाया।
इन दोनों चुनाव की मतगणना आंकड़ों का अध्ययन किया जाए तो 2023 के विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से लड़े कमलनाथ ने अपनी लोकप्रियता के दम पर 1.32 लाख मत प्राप्त किए थे, वहीं लोकसभा चुनाव में उनके पुत्र नकुल मैदान में रहे तो उन्हें केवल 95890 वोट मिले। सीधे तौर पर 36412 वोट कम हुए। इसके मुकाबले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में विवेक बंटी साहू मैदान में रहे। छह महीने में उनके वोट की रिकवरी 13270 वोट ही हो सकी। इसी तरह शेष विधानसभाओं में अमरवाड़ा में कांगे्रस को 31292, पांढुर्ना में 26212, परासिया में 20633, सौंसर में 15393 वोट खोने पड़े। साफ था कि मतदाताओं ने केन्द्र और राज्य में भाजपा की सरकार को देखते हुए अपना पिछला फैसला पलट दिया।

भाजपा के वोट की रिकवरी कम

पिछले विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा सातों सीटों पर हार गई थी। इसका कारण कमलनाथ का सीएम फेस चेहरा था। मतदाताओं ने एक साथ सातों सीट राज्य में शिवराज सरकार होते हुए भी कांग्रेस को दे दी थी। उस समय भाजपा ने जितने वोट हासिल किए थे, इस लोकसभा चुनाव में उसके वोटों की रिकवरी अपेक्षाकृत कम आई है।

कमलनाथ से 36 हजार से हारे तो पुत्र को 13 हजार से हराया

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में विवेक बंटी साहू भाजपा के उम्मीदवार थे। 2023 के चुनाव में छिंदवाड़ा विधानसभा से उनके मुकाबले कांग्रेस के कमलनाथ थे तो साहू को 36594 वोट से पराजय झेलनी पड़ी थी। लोकसभा चुनाव में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ सामने थे तो साहू को 13088 वोट से जीत हासिल हुई। इससे पिता कमलनाथ और पुत्र नकुलनाथ की जनता में छबि का अंदाजा लगाया जा सकता है।

मतदाताओं के मन बदलने के ये प्रमुख कारण

1.विधानसभा चुनाव के बाद कमलनाथ और नकुलनाथ के भाजपा में जाने की चर्चा तेज रही। यह हवा लोकसभा चुनाव की आचार संहिता मार्च 24 तक बनी रही। इसका प्रभाव मतदाताओं पर पड़ा।
्र2.विधानसभा चुनाव में कमलनाथ सीएम फेस थे तो जनता ने उनका सरकार बनने की आस में समर्थन किया। इस बार लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार की उपलब्धियां भारी पड़ी।
3.आम जनता में यह चर्चा फैली कि राज्य में भाजपा सरकार है। चुनाव में केन्द्र में मोदी सरकार रिपीट होगी। ऐसे में कांग्रेस के रहने से छिंदवाड़ा पिछले 5 साल तो पीछे हो गया, आगे पांच साल भी कांग्र्रेस को वोट देने से खराब हो जाएंगे। यह भी एक फैक्टर रहा।
4.साहू परिवार की ओर से सिहोरा माल में रामेश्वर धाम शिव मंदिर बनवाया गया। इसका भी सकारात्मक असर पड़ा।
5.बंटी साहू पिछले 2019 और 2023 के चुनाव हारने पर भी संगठन से तालमेल बैठाते रहे। विपक्ष के प्रति आक्रामकता बरकरार रखी। इसका असर भी जनता में पड़ा। जबकि कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में हराने के कारण बंटी को हल्के में ले लिया। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की उपेक्षा शुरू कर दी।


विधानसभा के मुकाबले लोकसभा में घटा कांग्रेस का परफारमेंस

विधानसभा 2023 2024 गिरावट
्रजुन्नारदेव 83371 68811 -14560
अमरवाड़ा 109765 78473 -31292
चौरई 81613 77315 -4298
सौंसर 92509 77116 -15393
छिंदवाड़ा 132302 95890 -36412
परासिया 88227 67594 -20633
पांढुर्ना 90944 64732 -26212

विधानसभा के मुकाबले लोकसभा में बढ़ा भाजपा का परफारमेंस
विधानसभा 2023 2024 बढ़ोत्तरी
्रजुन्नारदेव 80167 91453 +11286
अमरवाड़ा 84679 93512 +8833
चौरई 73024 86885 +13861
सौंसर 80967 83305 +2338
छिंदवाड़ा 95708 108978 +13270
परासिया 86059 90896 +4837
पांढुर्ना 80487 87747 +7260
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