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स्टूडेंट कंफ्यूज… आ​खिर करें तो क्या करें? सरकारी यूनिवर्सिटी का बुरा हाल

ऑनलाइन-ऑफलाइन एडमिशन की उलझन में फंसे विद्यार्थी, प्राइवेट यूनिवर्सिटी की ओर कर रहे रुख – चार दिन में नहीं हुआ एक भी एडमिशन, अब तक जारी नहीं हुआ स्पष्टीकरण इंदौर. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी ऑफलाइन एडमिशन के आदेश ने विद्यार्थियों को उलझन में डाल दिया है। इस आदेश को जारी हुए चार दिन बीत […]

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ऑनलाइन-ऑफलाइन एडमिशन की उलझन में फंसे विद्यार्थी, प्राइवेट यूनिवर्सिटी की ओर कर रहे रुख

- चार दिन में नहीं हुआ एक भी एडमिशन, अब तक जारी नहीं हुआ स्पष्टीकरण

इंदौर. उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी ऑफलाइन एडमिशन के आदेश ने विद्यार्थियों को उलझन में डाल दिया है। इस आदेश को जारी हुए चार दिन बीत गए हैं, लेकिन विद्यार्थियों के लिए प्रक्रिया स्पष्ट नहीं हो पाई है। ऐेसे में अब तक यूजी-पीजी पाठ्यक्रम में एक भी प्रवेश नहीं हो पाया है। सीएलसी राउंड 3 में रजिस्ट्रेशन कर चुके विद्यार्थियों और नए विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रवेश की असमंजस ने प्रक्रिया को जटिल कर दिया है। विद्यार्थी कॉलेजों के चक्कर लगा रहे हैं और खाली हाथ लौट रहे हैं।

शनिवार को कॉलेजों के प्राचार्यों की बैठक बुलाई गई थी, जिसमें ऑफलाइन एडमिशन को लेकर चर्चा हुई। इसमें कॉलेजों को ऑफलाइन फॉर्म जारी कर प्रवेश करने के लिए कहा गया है, लेकिन ये प्रवेश ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा चुके विद्यार्थियों दिया जाना है या नए विद्यार्थियों को, यह स्थिति स्पष्ट नहीं है। विद्यार्थी और उनके परिजन चिंता में हैं कि कहीं इस भ्रम के चलते उनका एक साल बर्बाद न हो जाए। अभी तक चल रही ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया में दिक्कतों के चलते यूजी की 40 फीसदी और पीजी की 20 फीसदी सीटें ही भर पाई हैं। इसके चलते कई विद्यार्थी प्राइवेट यूनिवर्सिटीज का रुख कर चुके हैं क्योंकि वहां प्रवेश लेने के लिए उन्हें ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ता है और सत्र भी समय से शुरू हो जाता है।

उलझन बरकरार... असमंजस में विद्यार्थी

केस-1 : प्रिया शर्मा ने सीएलसी राउंड 3 में रजिस्ट्रेशन करवाया था। उन्हें उम्मीद थी कि एडमिशन प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। इसी बीच विभाग ने ऑफलाइन एडमिशन का आदेश दे दिया। अब वह हर दिन कॉलेज के चक्कर लगा रही हैं कि कुछ जानकारी मिलेगी, लेकिन कॉलेज प्रशासन खुद ही इस उलझन में फंसा हुआ है कि प्रवेश ऑनलाइन होगा या ऑफलाइन। वह कहती हैं कि मुझे लग रहा है कि कहीं इस वजह से मेरा एक साल बर्बाद न हो जाए।

केस-2 : रोहित वर्मा ने निजी कॉलेज में बीकॉम में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। ऑनलाइन प्रक्रिया के चलते वह आवंटन सूची का इंतजार रहे थे कि इसमें कॉलेज की स्थिति साफ होगी। इसी बीच ऑफलाइन प्रक्रिया के आदेश ने सबकुछ बदल दिया। वह कहते हैं कि अब यह समझ नहीं आ रहा है कि हमें कॉलेज जाकर एडमिशन लेना है या ऑनलाइन प्रक्रिया की लिंक खुलेगी। इस उलझन से समय भी खराब हो रहा है।

केस-3 : साक्षी जैन ने अभी तक किसी भी राउंड में हिस्सा नहीं लिया था। जब उन्होंने नए आदेश के बारे में सुना तो उन्हें लगा कि वे भी इस प्रक्रिया में शामिल हो सकती हैं, लेकिन जब उन्होंने कॉलेज से संपर्क किया तो वहां से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। साक्षी का कहना है कि मैंने तय किया था कि इस साल एडमिशन लेकर पढ़ाई शुरू करूंगी, लेकिन अब मैं पूरी तरह से उलझन में हूं। कोई नहीं जानता कि क्या हो रहा है।

केस-4 : आदित्य सिंह सीएलसी राउंड-2 में आवेदन करने के लिए गए थे। इस दौरान उनके पास मूल निवासी प्रमाण पत्र नहीं था। दो दिन तक इसे बनवाने के लिए परेशान होते रहे। जब आखिरी दिन उनका प्रमाण पत्र बना तो पोर्टल पर दिक्कत आने के कारण उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका। ऐसे में उन्होंने प्राइवेट यूनिवर्सिटी की ओर रुख किया और बीबीए में प्रवेश ले लिया।